राष्ट्रीय

-तफ़सिरुल इस्लाम
ढाका की एक अदालत ने 6 साल पहले बांग्लादेश के लेखक और ब्लॉगर अभिजीत रॉय की हत्या के मामले में पाँच लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है. एक अन्य दोषी को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई है.
इस फ़ैसले से कुछ ही दिन पहले अभिजीत रॉय की क़िताब के प्रकाशक फ़ैसल अरेफ़िन दीपन की हत्या के मामले में आठ लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
वर्ष 2015 में बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और ख़ुद को नास्तिक मानने वाले कई लेखकों-प्रकाशकों की हत्या कर दी गई थी. सबसे पहले अभिजीत रॉय की हत्या हुई थी.
उन्हें ढाका पुस्तक मेले से निकलते समय ख़ुलेआम मार डाला गया था.
इस हत्या के बाद पूरे बांग्लादेश में ज़बरदस्त विरोध हुआ था. इसकी निंदा बांग्लादेश के बाहर भी हुई थी.
अभिजीत रॉय बांग्लादेश के जाने-माने ब्लॉगर थे. उन्होंने विज्ञान, नास्तिकता और धर्म को लेकर कई क़िताबें लिखीं थीं. वे एक ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म 'मुक्तमन' के संस्थापक भी थे.
फ़ेसबुक/अभिजीत राय
क्या हुआ था उस दिन
26 फ़रवरी, 2015 का दिन था. ढाका के सालाना पुस्तक मेले में काफ़ी भीड़-भाड़ थी.
अभिजीत पुस्तक मेले से निकले थे. वे सोहरावर्दी उद्यान के गेट को पारकर रहे थे, तभी उन पर पीछे से हमला किया गया.
उस वक्त सोहरावर्दी उद्यान के अंदर और घटनास्थल के नज़दीक फ़ोटो पत्रकार ज़ीबान अहमद मौजूद थे.
उस घटना के बारे में उन्होंने बताया, "अचानक से चीखने की तेज़ आवाज़ सुनाई पड़ी. जब किसी को चोट लगती है तो वो ऐसे चिल्लाता है. कुछ बड़ा हुआ है, ये मैं नहीं समझ पाया था. लेकिन क्या हुआ है, ये देखने के लिए मैं उद्यान से बाहर निकला."
"जब मैं भीड़ के पास पहुँचा तो मैंने ज़मीन पर एक आदमी को लेटे हुए देखा. एक महिला को मोटरसाइकिल पर लिटाया गया था. चारों तरफ़ ख़ून फैला हुआ था. लोग कह रहे थे कि उन्हें चाकू मारा गया है."
ज़ीबान अहमद अचानक हुई इस घटना से हैरत में थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करना चाहिए.
वहाँ ढेरों लोग तमाशाबीन की तरह खड़े थे. ऐसे में उन्होंने घायलों की मदद करने का निर्णय लिया.
ज़ीबान अहमद ने बताया, "मैंने महिला को पहले पुकारा. तीन बार पुकारने के बाद उन्हें कुछ होश आया. वे पीठ के बल लेटी हुई थीं. जब उन्हें होश आया तो उन्होंने अपना सिर उठाया और वे मेरी तरफ मुड़ीं. मैं सदमे में थे, क्योंकि उनके ऐसा करने से मेरे चेहरे, शरीर और हाथों तक ख़ून के छींटे आ गए थे."
ज़ीबान अहमद को बाद में मालूम चला कि वो महिला राफ़िदा अहमद बोन्या थीं.
ज़ीबान के मुताबिक़, होश में आने के बाद राफ़िदा नहीं समझ पा रही थीं कि क्या हुआ है, लेकिन जैसे ही उनको बताया गया तो वे चिल्लाते हुए अभिजीत की तरफ दौड़ीं.
वे लगातार लोगों से अस्पताल ले जाने की मदद माँगती रहीं, लेकिन कोई आगे नहीं आया.
ज़ीबान ने ज़रूर मदद का हाथ बढ़ाया, पर उस रात अस्पताल में अभिजीत रॉय की मौत हो गई. वहीं गंभीर रूप से घायल उनकी पत्नी बोन्या लंबे इलाज़ के बाद ठीक हो सकीं.
कई ब्लॉगरों की हत्या
अभिजीत रॉय की हत्या से पहले 2013 में ब्लॉगर राजीव हैदर की हत्या हुई थी.
वे पहले ऐसे ब्लॉगर थे जिनकी बांग्लादेश में हत्या की गई थी.
दो साल बाद, अभिजीत की हत्या के साथ ही ब्लॉगर-लेखकों की हत्या का सिलसिला शुरू हो गया था.
अभिजीत की हत्या के एक महीने बाद ब्लॉगर वशीकुर रहमान बाबू की हत्या 30 मार्च को कर दी गई.
साल 2015 में इस तरह से पाँच ब्लॉगर, लेखक- प्रकाशकों की हत्या हुई थीं. इन हत्याओं की ज़िम्मेदारी विभिन्न चरमपंथी गुटों ने ली थी.
रहमान बाबू की हत्या के बाद अप्रैल में ब्लॉगर नज़ीमुद्दीन समद और समलैंगिक अधिकारों पर ज़ोर देने वाली पत्रिका रूपबन के संपादक जुल्हाज़ मान्नन की हत्या हुई.
इसके बाद होली आर्टिज़न बेकरी में एक जुलाई को चरमपंथी हमला भी हुआ था. इस हमले के दौरान ब्लॉगरों की हत्या की ज़िम्मेदारी चरमपंथी गुटों ने ली थी.
अभिजीत रॉय की हत्या का मामला
अभिजीत रॉय की हत्या के बाद उनके प्रोफ़ेसर पिता अजय राय ने शाहबाग़ पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था.
इस हत्या का विरोध बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी हुआ था.
अभिजीत एक अमेरिकी नागरिक थे. इस घटना के बाद अमेरिकी जाँच एजेंसी एफ़बीआई की एक टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया था.
पहले तो इस हत्या की जाँच स्थानीय पुलिस ने की, पर बाद में (2016 में) जाँच का ज़िम्मा चरमपंथ निरोधक दस्ते को सौंप दिया गया.
चार साल की जाँच के बाद, अदालत में 13 मार्च, 2019 को एक चार्जशीट दाख़िल की गई.
चार्जशीट में 6 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें दो भगोड़े शामिल हैं. बाक़ी आरोपी जेल में हैं.
अदालत में चार्जशीट स्वीकृत होने के बाद मामले की सुनवाई एक अगस्त, 2019 से शुरू हुई.
4 फ़रवरी, 2021 को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा कि इस बहुचर्चित मामले का फ़ैसला 16 फ़रवरी 2021 को सुनाया जायेगा. (bbc.com)