राष्ट्रीय

-समीरात्मज मिश्र
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के विधायक मुख़्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी भेजने के मामले में पंजाब सरकार और यूपी सरकार के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है और सुनवाई की अगली तारीख़ 24 फ़रवरी को तय की गई है लेकिन इस मामले में राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़ होती जा रही है.
आठ फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार और पंजाब सरकार की ओर से नियुक्त वकीलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई.
दरअसल, मुख़्तार अंसारी पर यूपी के मऊ, ग़ाज़ीपुर, वाराणसी में दर्जनों केस दर्ज हैं लेकिन वो पिछले दो साल से एक मुक़दमे के कारण पंजाब की रोपड़ जेल में बंद हैं.
यूपी सरकार यहां दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए मुख़्तार अंसारी को कोर्ट में पेश करना चाहती है जबकि पंजाब पुलिस का कहना है कि वो उन्हें इसलिए नहीं भेज सकती क्योंकि उनका स्वास्थ्य इस लायक़ नहीं है कि उन्हें यूपी तक भेजा जाए.
मुख़्तार अंसारी की पेशी को लेकर ही यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्ज़ी दाख़िल की है. आठ फ़रवरी को इसी मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार पिछले दो साल से मुख़्तार अंसारी को यूपी नहीं भेज रही है जबकि पंजाब सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार की याचिका को ख़ारिज करने की मांग की.
पंजाब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया था जिसमें बताया गया था कि मुख़्तार अंसारी को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ समेत कई बीमारियां हैं जिनकी वजह से डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है और उन्हें अभी यूपी नहीं भेजा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'एक गैंगस्टर को बचाने में ऐसी दिलचस्पी समझ से परे है.'
पंजाब सरकार अंसारी को बचा रही है - यूपी सरकार
यूपी सरकार का आरोप है कि मुख़्तार अंसारी के ख़िलाफ़ पंजाब में जानबूझकर मुक़दमा दर्ज कराया गया और फिर पेशी के बहाने रोपड़ जेल में ही बंद कर दिया गया.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी कहते हैं, "देश की न्यायिक प्रक्रिया में अपने आप में एक तरह का पहला मामला है जब एक कुख्यात माफ़िया को बचाने के लिए पूरी सरकार आ खड़ी हुई है. न्यायालय वारंट पर वारंट इश्यू किए जा रही है और पंजाब सरकार मुख़्तार अंसारी को राज्य अतिथि की माफ़िक बचा रही है, उसे बेड रेस्ट करा रही है. मुख़्तार को पंजाब में रोके रखने के लिए पंजाब सरकार बड़े-बड़े वकीलों की फ़ौज खड़ी करती है पर हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. हमें यकीन है कि कृष्णानंद राय, नंद किशोर रूंगटा आदि के परिवारों को ज़रूर न्याय मिलेगा."
यूपी सरकार का कहना है कि एक साधारण मामले में मुख़्तार अंसारी को साल 2019 में पंजाब ले जाया गया था और तब से वह रोपड़ जेल में ही बंद हैं. राज्य सरकार का आरोप है कि रोपड़ जेल प्रशासन ने मुख़्तार अंसारी को बेहतरीन सुविधाएं भी मुहैया कराई हैं और राज्य सरकार जानबूझकर उन्हें नहीं भेज रही है.
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मुख्तार अंसारी
यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में कहा गया है कि मुख़्तार अंसारी ने यूपी की जेल में रहते हुए फ़ोन के ज़रिए कई अपराधों को अंजाम दिया है, जिसकी जांच-पड़ताल की जा रही है. शपथ पत्र में कहा गया है कि कई मामलों में उनका यहां होना ज़रूरी है, अन्यथा संगठित अपराध को ख़त्म करने की कोशिशें प्रभावित होंगी.
इस मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल का कहना है कि यूपी सरकार के आरोप बेबुनियाद हैं. रवीन ठुकराल ने बीबीसी को बताया, "मुख़्तार अंसारी के ख़िलाफ़ क़ानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई हो रही है, उससे राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है."
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 फ़रवरी की तारीख़ तय की है लेकिन इस बीच मुख़्तार अंसारी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है. बीजेपी विधायक अलका राय लगातार कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस पार्टी पर मुख़्तार अंसारी को बचाने का आरोप लगा रही हैं जबकि कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने भारतीय जनता पार्टी पर ही मुख़्तार अंसारी को संरक्षण देने का आरोप लगाया है.
बीबीसी से बातचीत में अजय राय ने कहा, "साल 1991 में वाराणसी में हुए अवधेश राय हत्याकांड में मैं इकलौता जीवित गवाह हूं. कोर्ट ने इस मामले में सरकार से मुझे सुरक्षा देने की बात कही है लेकिन सरकार ने सुरक्षा देने की बजाय पहले से मिली सुरक्षा भी हटा ली है."
मुख़्तार अंसारी पर अवधेश राय के हत्या की साज़िश रचने के आरोप हैं जबकि कृष्णानंद राय हत्याकांड में उन्हें साक्ष्यों के अभाव में विशेष सीबीआई अदालत से बरी किया जा चुका है.
वहीं, मुख़्तार अंसारी के भाई और बहुजन समाज पार्टी से सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने राज्य सरकार पर मुख़्तार अंसारी की हत्या की साज़िश रचने का आरोप लगाया है.
बीबीसी से बातचीत में अफ़ज़ाल अंसारी कहते हैं, "पिछले क़रीब एक साल से देश भर में एक भी अभियुक्त की पेशी कोर्ट में नहीं हुई है. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए ही पेशी हो रही है. यूपी सरकार मुख़्तार अंसारी को ही कोर्ट में लाकर पेश करने पर क्यों अड़ी हुई है. यूपी सरकार कह रही है कि पंजाब सरकार उन्हें बचा रही है तो मैं पूछता हूं कि आप क्या उन्हें मारने के लिए यूपी ला रहे हैं?"
अंसारी कैसे पहुंचे पंजाब?
हालांकि मुख़्तार अंसारी की यूपी के बांदा जेल से पंजाब के रोपड़ जेल तक की यात्रा भी कम दिलचस्प नहीं है और अब इसी 'जेल यात्रा' ने राज्य सरकार को परेशानी में डाल दिया है. दरअसल, रंगदारी मांगने के किसी मामले में पंजाब पुलिस प्रोडक्शन वॉरंट लेकर आई थी और उन्हें बांदा जेल से ले गई.
जनवरी 2019 में मोहाली के एक बड़े बिल्डर को फ़ोन करके ख़ुद को मुख़्तार अंसारी बताते हुए 10 करोड़ रुपये मांगे गए थे. मोहाली में इसी संदर्भ में एफ़आईआर दर्ज हुई और 24 जनवरी 2019 को पंजाब पुलिस ने मुख़्तार अंसारी को यूपी से ले जाकर मोहाली कोर्ट में पेश किया था जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रोपड़ जेल भेज दिया गया. तब से यह हिरासत लगातार बढ़ती जा रही है.
जानकारों का कहना है कि बिना किसी साक्ष्य के प्रोडक्शन वॉरंट तामील नहीं किया जाता है. यूपी पुलिस के एक बड़े अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि आमतौर पर ऐसे मामलों में गिरफ़्तारी से पहले पुलिस यह पुष्टि करती है कि जिसके नाम से फ़ोन किया गया है, उसके नाम से वह आवाज़ मिलती है या नहीं. पुलिस अधिकारी का कहना था, इस मामले में मुख़्तार अंसारी को आनन-फ़ानन में पंजाब ले जाना समझ से परे है और संबंधित अधिकारियों को इतनी जल्दी इसकी इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए थी, भले ही यह सब न्यायिक प्रक्रिया के तहत हो रहा था. (bbc.com)