राष्ट्रीय

नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के मौके पर मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान लालकिलेपर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराए जाने की घटना के दौरान मौजूद रहे अभिनेता दीप सिद्धू ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों की इस हरकत का यह कहकर बचाव किया कि उन लोगों ने वहां से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया, केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर 'निशान साहिब' को लगाया था.
‘निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है. सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है.
सिद्धू ने कहा, 'नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने निशान साहिब और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया.' उन्होंने 'निशान साहिब' की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की 'विविधता में एकता' का प्रतिनिधित्व करता है.
उन्होंने कहा कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया. विभिन्न दलों के नेताओं ने लाल किले पर हिंसा की घटना की निंदा की है. पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन से जुड़े सिद्धू ने कहा कि जब लोगों के वास्तविक अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है तो इस तरह के एक जन आंदोलन में गुस्सा भड़क उठता है. उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में, वह गुस्सा भड़क गया.
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा ईकाई के प्रमुख गुरनाम सिंह ने दीप सिद्धू पर आंदोलनकारियों को भड़काने और उन्हें भटकाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'वह (दीप सिद्धू) आंदोलनकारियों को लाल किले में लेकर गए. किसान कभी नहीं चाहते थे कि वे लाल किले पर जाएं.'
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं में से एक और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हमने सिद्धू को शुरू से ही अपने प्रदर्शन से दूर कर दिया था. सिद्धू अभिनेता सनी देओल के सहयोगी थे जब अभिनेता ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ा था. भाजपा सांसद ने पिछले साल दिसंबर में किसानों के आंदोलन में शामिल होने के बाद सिद्धू से दूरी बना ली थी. (इनपुट एजेंसी से भी)