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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों में दिखने लगा 'साइड इफेक्ट'
23-Nov-2025 3:19 PM
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों में दिखने लगा 'साइड इफेक्ट'

 ‎पटना, 23 नवंबर । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। इस चुनाव में जीत के लिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, हालांकि चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में आया। जबकि कई दलों का सूपड़ा साफ हो गया। इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। चुनाव के लिए मतगणना के करीब आठ दिन गुजरने के बाद अब राजनीतिक दलों में इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। ‎ 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी के लिए पहली बड़ी चुनावी परीक्षा थी, लेकिन यह पार्टी पूरी तरह असफल रही। प्रशांत किशोर की छवि के आधार पर तैयार किए गए एक आक्रामक और व्यापक प्रचार अभियान के बावजूद, जन सुराज शुरुआती उत्साह को वोटों में नहीं बदल सकी।

ये पार्टी प्रदेश की 243 में से 238 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत पाई। चुनाव परिणाम के बाद पार्टी ने पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर के सभी समितियों को भंग कर दिया है। बताया गया कि पार्टी की सभी समितियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है और अगले डेढ़ माह के दौरान नए सिरे से संगठन को खड़ा किया जाएगा। गौरतलब है कि चुनाव परिणाम के बाद राजद के नेता और चुनाव में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव अब तक सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं। ऐसे में वे विरोधी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं। इधर, कांग्रेस में भी चुनाव का साइड इफेक्ट दिख रहा है। कांग्रेस का असंतुष्ट खेमा अब खुलकर प्रदेश नेतृत्व को हटाने की मांग को लेकर सामने आया है।

दो दिन पहले प्रदेश कार्यालय के सामने इन लोगों ने धरना दिया। बताया जाता है कि असंतुष्ट खेमे के प्रमुख नेता अब दिल्ली जाकर आलाकमान से मुलाकात करेंगे और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को हटाने की मांग करेंगे। इन दोनों पर असंतुष्ट कांग्रेसियों ने टिकट बेचने का आरोप लगाया है। इधर, प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति की ओर से 43 कांग्रेसियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जहां 89 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं राजद 25 सीटें ही जीत सकी थी। कांग्रेस को सिर्फ छह सीटों पर संतोष करना पड़ा। --(आईएएनएस)


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