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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन/नयी दिल्ली, 3 अप्रैल अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।
हालांकि, इस कदम से अमेरिका को भारत के कुछ क्षेत्रों के निर्यात पर असर पड़ने के आसार हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है क्योंकि अन्य देशों की तुलना में भारत पर लगाया गया शुल्क कम है। इन देशों में बांग्लादेश (37 प्रतिशत), चीन (54 प्रतिशत), वियतनाम (46 प्रतिशत) और थाइलैंड (36 प्रतिशत) शामिल हैं जिन्हें बढ़े हुए शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क दरों का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।
ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन से विभिन्न देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘ यह मुक्ति दिवस है, एक लंबे समय से प्रतीक्षित क्षण। दो अप्रैल, 2025 को हमेशा के लिए उस दिन के रूप में याद किया जाएगा, जिस दिन अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, जिस दिन अमेरिका के भाग्य का पुन: उदय हुआ, जिस दिन हमने अमेरिका को फिर समृद्ध बनाने का काम शुरू किया। हम अमेरिका को समृद्ध, अच्छा और समृद्ध बनाने जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका अन्य देशों से मोटरसाइकिल पर केवल 2.4 प्रतिशत शुल्क लेता है। इस बीच, थाइलैंड और अन्य देश बहुत अधिक यानी 60 प्रतिशत तक शुल्क वसूल रहे हैं। भारत 70 प्रतिशत शुल्क लेता है, वियतनाम 75 प्रतिशत शुल्क लेता है और अन्य इससे भी अधिक शुल्क वसूलते हैं।’’
ट्रंप ने शुल्क की घोषणा करते समय एक चार्ट दिखाया जिसमें भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों द्वारा लगाए गए शुल्क के साथ-साथ जवाबी शुल्क भी दर्शाए गए थे। चार्ट ने संकेत मिलता है कि भारत ने "मुद्रा में ‘छेड़छाड़’ और व्यापार बाधाओं सहित’’ 52 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। अमेरिका भी अब भारत से ‘रियायती जवाबी शुल्क’ वसूलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत, बहुत, बहुत सख्त है। बेहद सख्त है। प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) अभी-अभी यहां से गए हैं। वह मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा, ‘‘आप मेरे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे हमसे 52 प्रतिशत शुल्क लेते हैं। आपको समझना होगा, हमने उनसे वर्षों तथा दशकों तक शुल्क के नाम पर कुछ भी नहीं लिया और यह केवल सात साल पहले की बात है, जब मैं सत्ता में आया, तब हमने चीन के साथ इसकी शुरुआत की।’’
वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर लगाए गए 27 प्रतिशत के जवाबी शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि यह ‘‘कोई झटका नहीं है’’ और वाणिज्य मंत्रालय इस जवाबी शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ मंत्रालय घोषित शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रहा है। कपड़ा जैसे श्रम गहन क्षेत्रों में इन शुल्क को लगाने के बाद भी भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर है’’
उन्होंने कहा कि एक प्रावधान यह है कि यदि कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है, तो ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है।
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि पारगमन में माल पर ये शुल्क नहीं लगेंगे।
भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 191 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर करने का भी लक्ष्य है।
निर्यातक संगठनों के महासंघ फियो ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत पर लगाया गया 27 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क निःसंदेह घरेलू निर्यातकों के लिए चुनौती है, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा कि शुल्क के बावजूद भारत में परिधान, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक, रसायन, प्लास्टिक तथा फर्नीचर सहित कुछ क्षेत्रों में निर्यात में बदलाव हो सकता है जिससे कुछ प्रतिकूल प्रभाव की भरपाई हो सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर जल्द निष्कर्ष निकलने से इन शुल्क से निपटने से मदद मिल सकती है।
शीर्ष उद्योग निकाय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका का जवाबी शुल्क भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात के लिए एक बड़ा झटका है। साथ ही उसने सरकार से इस क्षेत्र के दीर्घकालिक हित को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।
जीजेईपीसी ने कहा, ‘‘ दीर्घावधि में हम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को नया आकार देते हुए देखते हैं। अल्पावधि में हम अमेरिकी बाजार में भारत के मौजूदा 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात को बनाए रखने में चुनौतियों का अनुमान लगाते हैं।’’
बयान में कहा गया, ‘‘ हम भारत सरकार से दोनों देशों (भारत और अमेरिका) के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि यह शुल्क मुद्दों को सुलझाने और क्षेत्र के दीर्घकालिक हितों को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण होगा।’’
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी) ने कहा कि अमेरिका को चिकित्सकीय उपकरण निर्यात पर 27 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने से इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
एआईएमईडी फोरम के समन्वयक राजीव नाथ ने बयान में कहा, ‘‘ भारत ऐतिहासिक रूप से अमेरिका को सस्ते व उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सकीय उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है।’’
वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है।
अमेरिका के साथ भारत का 2023-24 में माल के मामले में व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर था। (भाषा)