राष्ट्रीय
मुंबई की एक अदालत ने सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी बुच और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग-अदाणी मामले में भी आरोप लगे थे लेकिन यह मामला अलग है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
मुंबई की एक अदालत ने शनिवार एक मार्च को महाराष्ट्र पुलिस के एंटी-करप्शन ब्यूरो को आदेश दिया कि वो सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, सेबी के तीन मौजूदा पूर्णकालिक निदेशकों और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसी) के दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे.
अदालत का आदेश बुच के सेबी अध्यक्ष के कार्यकाल के खत्म होने के ठीक एक दिन बाद आया. मामला बीएसई में एक कंपनी की लिस्टिंग में हुई धोखाधड़ी के आरोपों से संबंधित है.
क्या है मामला
मामले में याचिकाकर्ता सपन श्रीवास्तव ने खुद को एक 'मीडिया रिपोर्टर' बताया है. उनका आरोप है कि 1994 में बीएसए में एक कंपनी की लिस्टिंग में अनियमितताएं हुई थीं और इस कथित धोखाधड़ी में सेबी के उच्च अधिकारी भी शामिल थे.
श्रीवास्तव का आरोप है कि इस कंपनी की लिस्टिंग में सेबी अधिनियम, 1992 और अन्य नियमों का पालन नहीं किया गया. इसके अलावा सेबी के अधिकारियों ने शेयर बाजार के साथ छेड़छाड़ और इनसाइडर ट्रेडिंग की, शेयर के दामों को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया, निवेशकों के साथ धोखा किया और भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम का उल्लंघन भी किया.
श्रीवास्तव ने अदालत को यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले में सेबी और पुलिस से कई बार शिकायत की थी लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टि में आरोप एक संज्ञेय अपराध की तरफ इशारा कर रहे हैं और इसमें आगे और जांच की जानी चाहिए.
सेबी देगी आदेश को चुनौती
हालांकि सेबी ने इस मामले पर कई सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि वह अदालत के इस आदेश को चुनौती देगी. सेबी ने कहा कि जिन अधिकारियों का इस शिकायत में नाम है वो सब उस समय इन पदों पर नहीं थे जबकि यह मामला बताया जा रहा है.
सेबी ने आपत्ति जताई कि इसके बावजूद अदालत ने सेबी को कोई नोटिस या तथ्यों को सामने रखने का कोई मौका दिए बिना इस याचिका को मंजूर कर लिया. एजेंसी ने कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगी.
उसने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता का झूठी याचिकाएं दायर करने का इतिहास है और पूर्व में उसकी कई याचिकाएं दंड के साथ खारिज की जा चुकी हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बुच अप्रैल 2017 में सेबी से जुड़ी थीं, जब उन्हें एजेंसी में पूर्णकालिक निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें मार्च 2022 में एजेंसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वह सेबी की ऐसी पहली अध्यक्ष थीं, जो निजी क्षेत्र से आई थीं.
अदाणी मामले में आया था बुच का नाम
अगस्त, 2024 में अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने आरोप लगाए थे कि बुच और उनके पति धवल बुच की ऐसी कंपनियों में हिस्सेदारी थी, जिनका अदाणी समूह से संबंध था और जिनके जरिए बाजार में धोखाधड़ी की गई. बुच दंपति ने इन आरोपों से इंकार किया था.
हिंडनबर्ग ने कहा था कि बरमूडा और मॉरिशस में ऐसी ऑफशोर कंपनियां हैं, जिनका संबंध अदाणी समूह से है और बुच दंपति ने इन्हीं कंपनियों में 2015 में निवेश किया. हिंडनबर्ग के मुताबिक, सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच अच्छी तरह से इसलिए नहीं की थी क्यूंकि सेबी अध्यक्ष खुद इन कंपनियों से जुड़ी हुई थीं.
बुच दंपति ने इन कंपनियों में निवेश से इंकार नहीं किया, लेकिन यह स्पष्टीकरण दिया कि माधवी सेबी से 2017 में जुड़ी थीं. वहीं, संबंधित निवेश 2015 में किया गया था, जब वह और उनके पति आम नागरिक थे और सिंगापुर में रह रहे थे. (dw.com/hi)