राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 04 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार और अजित पवार दोनों धड़ों से विधानसभा और आम चुनावों के लिए प्रचार सामग्री में चुनाव चिह्न, पार्टी के नाम और ‘डिस्क्लेमर’ (दावा अस्वीकरण) के इस्तेमाल पर उसके दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने उसके 19 मार्च के आदेश का अनुपालन न किये जाने को लेकर दोनो पक्षों की याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि दोनों गुटों के नेताओं को कहीं और होना चाहिए न कि अदालतों में।
उसने शरद पवार गुट से कहा कि वह चुनाव प्रचार अभियानों में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ का नाम और ‘तुरही बजाता आदमी’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल के लिए अपने कार्यकर्ताओं को जागरूक करे।
न्यायालय ने शरद पवार गुट को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और विधायकों को चुनाव विज्ञापनों में ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल न करने को कहा, जो अजित पवार नीत राकांपा को आवंटित किया गया है।
इसी तरह, उसने अजित पवार गुट को भी अखबारों में यह कहते हुए बड़ा और प्रमुखता से विज्ञापन प्रकाशित करने को कहा कि उसे आवंटित ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न उच्चतम न्यायालय के 19 मार्च के आदेश के अनुरूप विचाराधीन है।
पीठ ने 19 मार्च के आदेश में दिए दिशानिर्देशों में बदलाव करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं दिखायी देती है। अजित पवार गुट ने बदलाव का अनुरोध किया था।
उच्चतम न्यायालय ने 19 मार्च को शरद गुट को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ‘‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’’ नाम का उपयोग करने की अनुमति दे दी थी।
शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार-नीत धड़े को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा था कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न पर दावे का मामला अदालत में विचाराधीन है और प्रतिवादी (राकांपा-अजिट गुट) को इसके इस्तेमाल की अनुमति इस शर्त पर दी गयी है कि यह न्यायालय के अंतिम फैसले पर आधारित होगा।
पीठ ने अजित पवार-नीत धड़े से चुनाव से संबंधित सभी दृश्य-श्रव्य विज्ञापनों और बैनर तथा पोस्टर आदि में भी इसी तरह की घोषणा करने को कहा था। (भाषा)