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संसद से एक दिन में रिकॉर्ड 78 सांसद निलंबित
19-Dec-2023 12:42 PM
संसद से एक दिन में रिकॉर्ड 78 सांसद निलंबित

संसद के शीतकालीन सत्र में 18 दिसंबर को विपक्षी दलों के 78 सांसद निलंबित कर दिए गए. एक दिन में इतने ज्यादा सांसदों के निलंबन का यह पहला मामला है.

   डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट- 

भारत में संसद के मौजूदा सत्र में अब तक कुल 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है. इससे पहले 14 दिसंबर को राज्यसभा से एक सांसद और लोकसभा के 13 सांसदों को निलंबित किया गया था.

18 दिसंबर को निलंबित हुए 78 सांसदों में 45 राज्यसभा के हैं. इनमें से 34 को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है. 11 सांसदों को उनके व्यवहार पर विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है.

निलंबित किए गए बाकी 33 सांसद लोकसभा के हैं. इनमें से 30 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है. तीन सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है.

क्यों हुआ निलंबन
13 दिसंबर को संसद पर हमले की बरसी थी. उस दिन सदन की कार्यवाही के दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से कूदकर सांसदों के बीच आ गए. विरोध-प्रदर्शन करते हुए उन्होंने स्मोक कैन भी खोले, जिसमें से पीले रंग का धुआं निकला. इसे सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया. इसी मुद्दे पर विपक्ष सरकार से लगातार सवाल पूछ रहा था और प्रदर्शन कर रहा था.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन में चर्चा लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि "सदन में नारेबाजी करना, तख्तियां लेकर विरोध करते हुए वेल में आ जाना ठीक नहीं है. जनता भी ऐसे आचरण को पसंद नहीं करती है."

विपक्ष ने बताया लोकतंत्र पर हमला
सांसदों के निलंबन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आज फिर मोदी सरकार ने संसद और लोकतंत्र पर हमला किया है.

उन्होंने दो मांगें रखीं. खड़गे ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री को संसद की सुरक्षा में गंभीर उल्लंघन पर दोनों सदनों में बयान देना चाहिए और इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए. खड़गे ने यह भी आशंका जताई कि विपक्ष-रहित संसद में अब मोदी सरकार महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना बहस के बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है.

सरकार का पक्ष
राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, "आज दोनों सदनों में इंडी अलायंस के घमंडिया गठबंधन के सदस्यों ने जिस प्रकार का भद्दा व्यवहार सदन के अंदर किया, सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित किया, जिस प्रकार से कई माननीय सदस्यों ने प्लाकर्ड लाकर सदन की, सदन के आसन की, पूरे देश की एक प्रकार से अवमानना की."

गोयल ने आरोप लगाया कि विपक्ष सोची-समझी रणनीति के तहत आया था और नहीं चाहता था कि सदन अच्छी तरह चले. उन्होंने विपक्षी सदस्यों के निलंबन का बचाव करते हुए विपक्ष पर लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति के अपमान का आरोप लगाया.

उनका दावा है कि विपक्षी सदस्यों से बार-बार अपील की गई कि वो सीट पर बैठकर बोलें. बकौल गोयल, "जिस तरह का व्यवहार रहा, उसके चलते आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष को 33 माननीय सांसदों को सस्पेंड करना पड़ा और राज्यसभा में माननीय 34 सांसदों को इस सेशन के आखिरी दिन तक सस्पेंड किया गया और 11 अन्य सांसदों को सस्पेंड करके उनका केस प्रिविलेज्ड कमिटी को भेजा गया है."

1989 में हुआ था 63 सांसदों का निलंबन
आज 78 सांसदों के निलंबन से पहले आखिरी सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. सरकार के पास 400 से ज्यादा सांसदों का भारी बहुमत था. इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए जस्टिस ठक्कर कमिशन की रिपोर्ट पेश करने को लेकर हंगामा हुआ था.

इसी पृष्ठभूमि में 15 मार्च, 1989 को 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. सांसदों को सप्ताह के बचे हुए तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया था और एक दिन बाद अध्यक्ष से माफी मांगने पर उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था. (dw.com)
 


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