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जेएनयू में अब छात्र नहीं दे पाएंगे धरना, लगेगा जुर्माना
12-Dec-2023 12:29 PM
जेएनयू में अब छात्र नहीं दे पाएंगे धरना, लगेगा जुर्माना

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों को अब धरना देने या भूख हड़ताल करने पर 20,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है. जेएनयू प्रशासन ने इसको लेकर आदेश जारी किया है.

   डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की नयी नियमावली के मुताबिक शैक्षणिक इमारतों के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है. जेएनयू प्रशासन के आदेश के मुताबिक छात्र अब कैंपस में धरना-प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे.

नए आदेश के मुताबिक कैंपस में धरना देने पर 20,000 रुपये और राष्ट्र विरोधी नारे लगाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. जेएनयू के नए आदेश में शैक्षणिक इमारतों में कक्षाओं और प्रयोगशालाओं के अलावा विभिन्न स्कूलों के अध्यक्षों के कार्यालय, डीन और अन्य पदाधिकारियों के कार्यालय को शामिल किया गया है.

नियम का दोषी पाए जाने पर ऐसे छात्र या छात्रा को विश्वविद्यालय से निष्कासित तक किया जा सकता है. इसके अलावा किसी छात्र को प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल होने का दोषी पाया जाता है तो उसे अगले सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन की इजाजत नहीं मिलेगी.क्या मायने हैं जिग्नेश मेवानी और कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के

हाई कोर्ट के आदेश के बाद सख्ती
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर प्रशासनिक इमारत जिसमें कुलपति, रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर समेत शीर्ष अधिकारियों के कार्यालय हैं, उसके 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन पर रोक लगाई गई थी.

हालांकि, अब चीफ प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) की संशोधित नियमावली के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने कक्षाओं के स्थानों के साथ-साथ शैक्षणिक इमारतों के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी है.

नए आदेश के बाद लोग लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का आरोप लगा रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग नए आदेश की निंदा कर रहे हैं.

आदेश के बचाव में विश्वविद्यालय
उन्होंने कहा, "हमने जुर्माने की राशि नहीं बढ़ाई है. यह पहले से ही मौजूद है. बात सिर्फ इतनी है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू से कहा था कि वह कानूनी तौर पर इसे मैनुअल में ड्राफ्ट करे. पिछले महीने हुई कार्यकारी परिषद की बैठक के दौरान मैनुअल को सर्वसम्मति से पारित किया गया था और यहां तक कि शिक्षक संघ के सदस्य भी वहां मौजूद थे."

जेएनयू प्रशासन के इस आदेश का जेएनयू छात्रसंघ ने विरोध किया है. छात्र संघ के नेताओं का कहना है कि यह असहमति को दबाने का प्रयास है. छात्र नेताओं का कहना है कि विरोध-प्रदर्शन करना छात्रों का अधिकार है और जेएनयू को यह नियम वापस लेना चाहिए. (dw.com)


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