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स्किन-टू-स्किन जजमेंट देने वाली जस्टिस को पहले कॉलेजियम से झटका, इस्तीफा दिया तो बढ़ी मुश्किल, हाईकोर्ट नहीं दे रहा पेंशन
01-Aug-2023 3:40 PM
स्किन-टू-स्किन जजमेंट देने वाली जस्टिस को पहले कॉलेजियम से झटका, इस्तीफा दिया तो बढ़ी मुश्किल, हाईकोर्ट नहीं दे रहा पेंशन

फोटो : सोशल मीडिया


मुंबई, 1 अगस्त। स्किन-टू-स्किन जैसा विवादास्पद जजमेंट देने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रहीं पुष्पा गनेडीवाला की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। फिलहाल अपने ही हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने उनको नौकरी छोडऩे के बाद पेंशन देने से इनकार कर दिया है। पुष्पा गनेडीवाला हाईकोर्ट में रिट दायर करके मांग की है कि उनको पेंशन दिलवाई जाए। हालांकि ये याचिका अभी तक सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं हो सकी है।

एडवोकेट अक्षय नायक के जरिये दाखिल की गई याचिका में पुष्पा गनेडीवाला ने कहा है कि फरवरी 2022 में उन्होंने एडिशनल जज रहते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने हाईकोर्ट के अफसरों को दिए आवेदन में पेंशन की मांग की थी। लेकिन रजिस्ट्रार ने बताया कि वो पेंशन की हकदार नहीं हैं। उसके बाद 19 जुलाई को पुष्पा ने नागपुर बेंच के समक्ष एक रिट दायर की। उनका कहना है कि वो पेंशन की हकदार हैं, क्योंकि उन्होंने हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज तीन साल तक काम किया था। वो तकरीबन 11 साल 3 माह तक जिला जज भी रही थीं। उनके आदेवन पर हाईकोर्ट के तत्कालीन एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभाकनी ने जवाब दिया कि वो हाईकोर्ट से बतौर जज रिटायर नहीं हुईं। उनको पेंशन नहीं दी जा सकती।

2007 में बनी थीं जिला जज, 2019 में आईं बॉम्बे हाईकोर्ट
जस्टिस पुष्पा का करियर 2007 में जिला कोर्ट से शुरू हुआ था। वो 8 फरवरी 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट की एडिशनल जज बनी थीं। 12 जनवरी 2021 को कॉलेजियम ने उनको परमानेंट जज बनाने की सिफारिश की थी। हालांकि ये सिफारिश तब वापस ले ली गई जब उनके कुछ फैसले विवादों में आए। केंद्र ने सिफारिश को मानते हुए जस्टिस पुष्पा को बतौर एडिशनल जज एक साल का एक्सटेंशन दिया था। उसके पूरा होने से पहले ही जस्टिस ने नौकरी को अलविदा कह दिया क्योंकि कॉलेजियम की तरफ से उनको परमानेंट जज बनाने की सिफारिश फिर से नहीं की गई थी।

जस्टिस पुष्पा तब विवादों के घेरे में आईं जब उन्होंने 1 सप्ताह के भीतर पॉक्सो एक्ट से जुड़े 3 मामलों के आरोपियों को बरी कर दिया। 14 जनवरी 2021 को उन्होंने निचली अदालत के फैसले को पलटकर आरोपी को बरी कर दिया। 15 जनवरी को उन्होंने एक और फैसले में पॉक्सो के एक और आरोपी को बरी कर दिया।

तीसरा जजमेंट 19 जनवरी को आया। इसे स्किन टू स्किन जजमेंट का नाम दिया गया। इसमें उन्होंने कहा कि 12 साल की लडक़ी के वक्ष को दबाना पॉक्सो के तहत कोई जुर्म नहीं है, क्योंकि आरोपी ने लडक़ी की शर्ट नहीं उतारी थी। यानी उसका स्किन से कांटेक्ट नहीं हुआ था। इन तीन फैसलों ने ही कॉलेजियम को अपनी सिफारिश वापस लेने को मजबूर किया। तीसरे फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज भी कर दिया था। (jansatta.com/)


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