राष्ट्रीय

नई दिल्ली, 14 जुलाई | डिस्लेक्सिया से ग्रस्त छात्रों के लिए यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक गाइडलाइंस जारी की हैं। यूजीसी की नई गाइडलाइंस के मुताबिक अगर छात्र डिस्लेक्सिया अर्थात अक्षर भ्रम की बीमारी से ग्रस्त है तो परीक्षा में ऐसे छात्रों के लिए विशेष इंतजाम किए जाने चाहिए।
यूजीसी का कहना है कि डिस्लेक्सिया पीड़ित छात्रों को परीक्षा में ऑप्शन ए बी सी डी कैपिटल लेटर में दिए जाने चाहिए। दरअसल स्माल लेटर में डिस्लेक्सिया पीड़ित छात्र बी और डी के बीच भ्रमित हो सकते हैं। दरअसल अंग्रेजी के स्माल लेटर में बी और डी के बीच काफी समानता है जिससे ऐसे छात्रों को भ्रम पैदा होता है।
इसके साथ ही यूजीसी ने सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। यूजीसी का कहना है कि इन छात्रों के लिए सीटिंग अरेंजमेंट कुछ इस प्रकार की होना चाहिए जिससे कि उनका मानसिक मनोबल बढ़ा रहे। आवश्यकता होने पर ऐसे छात्रों को विश्वविद्यालय और संबंधित कॉलेजों द्वारा काउंसलिंग भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
यूजीसी ने देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को ई कंटेंट भी विकसित करने को कहा है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि कैंपस में प्रयाग साइन बोर्ड होने चाहिए। दिव्यांग छात्रों के लिए व्हील चेयर और रैंप की व्यवस्था होनी चाहिए। यह सुविधा ना केवल कैंपस में उपलब्ध होनी चाहिए बल्कि कैंपस में मौजूद अन्य दफ्तरों एवं बैंक आदि पर रैंप हो। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों को दिव्यांगों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए टॉयलेट बनाने का भी निर्देश दिया गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा संस्थानों और यूनिवर्सिटीज- कॉलेजों में दिव्यांग छात्रों को समान अवसर एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गाइडलाइंस जारी की हैं। विश्वविद्यालयों में दिव्यांगों को सुविधा पहुंचाने के लिए तैयार किए गए दिशा- निर्देशों में करिकुलम में बदलाव की बात भी है इसके अलावा इसमें टीचिंग- लनिर्ंग प्रोसेस को भी शामिल किया गया है।
यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक यह महत्वपूर्ण दिशानिर्देश इसलिए जारी किए गए हैं ताकि शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे छात्रों को विश्वविद्यालयों में कोई परेशानी पेश न आए। इन दिशा निर्देशों का उद्देश्य ऐसे छात्रों को बराबरी का वातावरण उपलब्ध कराना है।
यूजीसी द्वारा तैयार किए गए यह दिशानिर्देश उच्च शिक्षा में किसी भी शिक्षार्थी के लिए बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करते हैं। यूजीसी के मुताबिक इन दिशानिर्देशों का परिणाम बुनियादी ढांचे, पाठ्यक्रम, शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया और ऐसे सभी घटकों में समान और गुणवत्तापूर्ण भागीदारी के लिए शैक्षणिक और सामाजिक दोनों पहलुओं में आवश्यक परिवर्तन लाकर बाधाओं को दूर करना होगा।
(आईएएनएस)