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जर्मन विशेषज्ञ जामिया में लगाएंगे 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' पर क्लास
15-Feb-2022 3:41 PM
जर्मन विशेषज्ञ जामिया में लगाएंगे 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' पर क्लास

नई दिल्ली, 15 फरवरी | जामिया मिलिया इस्लामिया 'मानव-वन्यजीव संघर्ष' जैसे विषयों पर विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ काम करेगा। जामिया मिलिया इस्लामिया ने इस विषय पर एक नया कोर्स डिजाइन किया है। जामिया अपने छात्रों को इस कोर्स में प्रशिक्षित करने के लिए जर्मन विशेषज्ञों की मदद लेगा।

जामिया के इस कोर्स का नाम 'मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन के लिए संचार रणनीतियां' है। इसके तहत मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर, जामिया अपने छात्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रति जागरूकता पैदा करेगा। जामिया इस जागरूकता में मीडिया के महत्व पर छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद ले रहा है।

यह पाठ्यक्रम जर्मनी के डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) की मदद से संचालित किया जा रहा है। डॉ माला नारंग रेड्डी, प्रसिद्ध सामाजिक मानवविज्ञानी 19 फरवरी, 2022 को एक कार्यशाला के माध्यम से छात्रों को बताएंगी कि वे मानव वन्यजीव संघर्ष (एचडब्ल्यूसी) के लोगों की धारणाओं और सामाजिक आयामों को कैसे संबोधित करेंगे और जेंडर-संवेदनशील एचडब्ल्यूसी संघर्ष शमन पर भी चर्चा कर सकते हैं।

एशिया प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन (एएनसीएफ) के सुरेंद्र वर्मा और संजय अजनेकर एचडब्ल्यूसी मिटिगेशन पर जागरूकता और सामुदायिक जुड़ाव के लिए टूल्स का उपयोग करने के संबंध में छात्रों को प्रशिक्षित करेंगे।

इसमें छात्र, मानव-वन्यजीव अंत क्रियाओं की सार्वजनिक धारणा को आकार देने में मीडिया की भूमिका के बारे में जानेंगे। अन्य विशेषज्ञ जैसे डॉ. नवनीथन बालासुब्रमणि, तकनीकी विशेषज्ञ, जीआईजेड, और डॉ. दिब्येंदु मंडल, संरक्षण जीवविज्ञानी, जीआईजेड, इंटरफेस पर और जंगल के बाहर मिटिगेशन के बारे में महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान कर रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि रचनात्मक अभ्यास, रोल प्ले और खेलों का उपयोग करके यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इसके अलावा जामिया विश्वविद्यालय के छात्र मस्तिष्क इमेजिंग, मस्तिष्क गतिविधि, जैव रासायनिक और न्यूरो-फिजियोलॉजिकल मापदंडों को परखेंगे, जो तनाव, चिंता या अवसाद के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। साथ ही इन जटिलताओं से निपटने के लिए ट्रीटमेंट भी प्रदान करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि यह रिसर्च योग के माध्यम से किया जाएगा।

तीन साल के अध्ययन के दौरान अध्ययन में भाग लेने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को नामांकित किया जाएगा। योग और अन्य मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट जामिया और एमडीएनआईवाई दोनों में किए जाएंगे।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया को योग और ध्यान के मानसिक स्वास्थ्य लाभ की जांच के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से फंडिंग प्राप्त हुई है। यह शोध मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के सहयोग से किया जाएगा, जिसमें मोलेक्युलर टूल्स और न्यूरोनल एक्टिविटी रिकॉडिर्ंग का उपयोग करके योगा द्वारा मस्तिष्क स्वास्थ्य लाभ की जांच की जाएगी। (आईएएनएस)


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