राष्ट्रीय

रिजर्व बैंक प्रमुख की चेतावनी, क्रिप्टोकरंसी की कोई कीमत नहीं
11-Feb-2022 2:00 PM
रिजर्व बैंक प्रमुख की चेतावनी, क्रिप्टोकरंसी की कोई कीमत नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरंसी के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने इसकी तुलना नीदरलैंड्स में 17वीं सदी में पैदा हुए हालात से भी की.

   डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरंसी के खिलाफ लोगों को चेताया है. दास ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी की कीमत तो ट्यूलिप से भी कम है. देश और बाकी दुनिया में डिजिटल करंसी को लेकर जारी घनघोर आकर्षण के बारे में बोलते हुए केंद्रीय बैंक के मुखिया ने कहा कि निजी क्रिप्टोकरंसी वित्तीय स्थिरता को खतरा है.

दास ने कहा, "निजी क्रिप्टोकरंसी मैक्रो-इकनॉमिक्स और वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा हैं. निवेशकों को इस बात को दिमाग में रखना चाहिए कि वे अपने खतरे पर निवेश कर रहे हैं.” वह वित्तीय नीति को लेकर हुई बैठक के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे.

केंद्र सरकार ने इसी महीने पारित बजट में डिजिटल करंसी को कर के दायरे में लाने की घोषणा की थी, जिसका निवेशकों ने यह कहते हुए जश्न मनाया था कि यह भारत की तरफ से क्रिप्टोकरंसी को मान्यता है.

लेकिन, इस मान्यता के उलट बयान देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि निजी क्रिप्टोकरंसी कोई कीमत नहीं है. उन्होंने कहा, "इन क्रिप्टोकरंसी की कोई कीमत नहीं है. एक ट्यूलिप बराबर भी नहीं.”

क्या है ट्यूलिप की कहानी
अंग्रेजी में ट्यूलिपमेनिया लालच के लिए प्रयोग होता है. इसके पीछे की कहानी नीदरलैंड्स से आती है, जहां 17वीं सदी में ट्यूलिप के फूलों को लेकर दीवानगी इस हद तक पहुंच गई थी कि उनकी कीमतें बढ़ गई थीं.

तब निवेशकों ने ट्यूलिप खरीदने शुरू कर दिए और उनकी कीमतें बढ़ने लगीं. उस दौरान एक फूल की कीमत एक आम आदमी की सालभर की कमाई से भी ज्यादा हो गई थी. एक फूल खरीदना एक घर लेने से भी ज्यादा महंगा था.

फरवरी 1637 में ट्यूलिप की कीमत अपने चरम पर पहुंच गई थी और उसके बाद धड़ाम से गिरी. मई में उनकी कीमत सामान्य हो गईं. लेकिन उस पूरी घटना को किसी चीज की कीमत के निराधार रूप से बढ़ने से जोड़कर देखा जाने लगा. आज भी जब किसी चीज की कीमत सिर्फ दीवानगी के कारण बढ़ती है तो ट्यूलिपमेनिया कहा जाता है.

भारत की योजनाएं
क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारत का रुख अभी तक ज्यादा स्पष्ट नहीं रहा है. पिछले साल उसने सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन बाद में उसे लागू नहीं किया गया.

इसी महीने पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि भारत अगले साल अपनी डिजिटल करंसी पेश करेगा. उन्होंने कहा कि यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा. वित्त मंत्री ने कहा, "केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल करंसी की शुरुआत से डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इससे ज्यादा सक्षम और सस्ती करंसी प्रबंधन व्यवस्था भी संभव हो पाएगी.”

क्रिप्टोकरंसी भारत में करीब दस साल पहले आ गई थी और तभी से सरकार की इस नई मुद्रा व्यवस्था पर टेढ़ी नजरें रही हैं. 2018 में तो केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरंसी को बैन ही कर दिया था. दो साल पहले देश के सुप्रीम कोर्ट ने यह बैन हटा दिया था और तब से भारत में क्रिप्टोकरंसी का बाजार तेजी से बढ़ा है. शोध संस्था चेनालिसिस के मुताबिक जून 2021 तक एक साल में ही भारत का क्रिप्टोकरंसी बाजार 650 फीसदी बढ़ चुका था जो वियतनाम के बाद दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि थी.

आज भारत में क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वालों की संख्या डेढ़ से दो करोड़ के बीच आंकी जाती है. माना जाता है कि भारत में चार खरब रुपये की कीमत की क्रिप्टोकरंसी बाजार में मौजूद है. (dw.com)


अन्य पोस्ट