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क्यों सुलग रहा है यूरोपः चार वजहें
13-Aug-2021 8:02 PM
क्यों सुलग रहा है यूरोपः चार वजहें

दक्षिणी यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भड़की आग ने पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले कार्बन सिंक की बरबादी पर वैज्ञानिक चिंतित हैं.

 डॉयचे वैले पर स्टुअर्ट ब्राउन रिपोर्ट-

गर्मियां अभी आधी ही बीती हैं लेकिन बाल्कन क्षेत्र, इटली और दक्षिणपूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में जंगल की आग से बरबाद इलाकों ने पिछले वर्षों की औसत को उलट-पलट कर रख दिया है. बिजली गिरने की कुदरती वजह से हो या जानबूझकर लगाई गई हो लेकिन पिछले महीने पूरे दक्षिणी यूरोप में फैली जंगल की आग को सूखे और बेतहाशा गर्मी ने और भड़का दिया है.

वैज्ञानिकों को इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि इस सीजन में और ज्यादा आग भड़कने की मुख्य वजह है जलवायु परिवर्तन. वे ये भी जानते हैं कि जिन देशों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा होती हैं वहां उनसे निपटने के इंतजाम पूरे नहीं हैं. इसलिए हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं.

यहां हम देखेंगे कि भूमध्यसागरीय और बाल्कन देशों में जंगल की आग इतना क्यों भड़कती है. दुनिया के गरम होते जाने के क्या नतीजे होंगे, ये भी हम खंगालेंगे. 

1. भूमध्यसागरीय इलाका अभी क्यों सुलग रहा है?

गर्मियों में जंगल की आग का सुलगना स्वाभाविक होता है और अक्सर भूमध्यसागरीय जंगलों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. 2016 से पहले के दशक में, दक्षिणी यूरोप के पांच देशों- स्पेन, फ्रांस, पुर्तगाल, इटली और ग्रीस (यूनान) के जंगलों में आग लगने की करीब 48 हजार घटनाओं में सालाना चार लाख 57 हजार हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका था. वैज्ञानिकों के मुताबिक, आग से इन इलाकों में जंगल फिर से नया भी हो जाता है और जैव विविधता भी बनी रहती है. 

दक्षिणी यूरोप के गरम और शुष्क इलाकों के समुदाय, आग पर काबू पाने के बेहतर उपाय और रणनीतियों की मदद से, हर साल लगने वाली औसत आग से निपटना सीख चुके हैं. इसके चलते 1980 से आग लगने की घटनाएं और उनका आकार भी कम हुआ है. लेकिन हाल के वर्षों में तो जंगल गाहे-बगाहे सुलग ही उठते हैं और आग अपने सामान्य आकार और वेग से काफी आगे जा चुकी है.

2017 और 2018 की विनाशकारी आग ने तुर्की और स्पेन तक फैले एक बड़े भूभाग में सैकड़ों जानें ले लीं थीं. स्वीडन समेत मध्य और उत्तरी यूरोप के देश भी झुलस उठे थे. ऐसी अप्रत्याशित आग, अपरिहार्य रूप से बेतहाशा सूखे और गर्मी की लहर से जुड़ी है.

2. आग कैसे भड़क रही है?

जुलाई का महीना यूरोप में दूसरा सबसे गरम महीना था. (विश्व स्तर पर तीसरा सबसे गरम). दक्षिणी यूरोप इस अत्यधिक गर्मी के केंद्र में रहा है, ग्रीस में तापमान इस सप्ताह 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया था.

ग्रीस और पड़ोसी तुर्की इस समय, 30 साल की सबसे भीषण गर्मी की लहर का सामना कर रहे हैं- ये लहर इतनी प्रचंड है कि इसने 1987 के फायर सीजन की डरावनी यादें ताजा कर दी हैं जब अकेले ग्रीस में डेढ़ हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.

तुर्की में अलग अलग करीब 200 जगहों पर जंगल की आग भड़की हुई है और एक सप्ताह में ही पूरे देश में फैल चुकी है. कुछ तटीय निवासियों और टूरिस्टों को सुरक्षा के लिए आगियान की ओर भागना पड़ा है.

जानबूझकर लगाई जाने वाली आग और बिजली गिरने जैसी कुदरती वजहें बराबर की जिम्मेदार भले ही हों, अत्यधिक गर्मी ने आग को और भड़का दिया है और आग की चपेट में आए इलाकों की तबाही की असली जिम्मेदार वही है. इसीलिए पिछले 12 साल के औसत के मुकाबले पांच अगस्त तक कम से कम 55 फीसदी ज्यादा इलाका, यूरोप भर में जल उठा.

और इस संकट को और तीव्र बनाते हैं- जर्जर वन प्रबंधन और कभी-कभी कुदरती जंगलों का ओवर-प्रोटेक्शन यानी उन्हें बचाने की अति. (dw.com)


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