महासमुन्द

भट्टा दलालों से त्रस्त परिवार से मिलकर डॉ.चोपड़ा ने दिया न्याय दिलाने का आश्वासन
28-Oct-2025 4:44 PM
भट्टा दलालों से त्रस्त परिवार से मिलकर डॉ.चोपड़ा ने दिया न्याय दिलाने का आश्वासन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 28 अक्टूबर। महासमुंद के पूर्व विधायक डॉ. चोपड़ा ने कल भट्टा दलाल की प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या करने वाले झलप क्षेत्र के ग्राम बनपचरी निवासी शत्रुघन खडिय़ा के घर पहुंचे और कहा कि पटेवा थाना की लापरवाही के कारण मृतक शत्रुघन ने आत्महत्या की है। इस क्षेत्र में जिस प्रकार से ईंट भ_ा के दलालों का जाल फैल रहा है। ईंट भ_ा ले जाने वाले अवैधानिक दलाल को पूरा प्रश्रय पटेवा थाना पुलिस से मिला हुआ है। जिसके कारण इस प्रकार की घटनाएं हो रही है और एक भरे-पूरे परिवार के गरीब आदमी को आत्महत्या करनी पड़ी। यह बड़ा दुखद है।

पूर्व विधायक डॉ.विमल चोपड़ा और भाजपा पटेवा पूर्व मंडल अध्यक्ष धरम पटेल, डॉ सोमनाथ सिन्हा, संतोष ध्रुव, अलेख ध्रुव, शोभाराम कुंभकार, भानु यादव समेत भाजपा नेताओं ने  मृतक शत्रुघन के घर जाकर उनके पिता राजाराम खडिय़ा  सहित पूरे परिवार से मिल कर सांत्वना दी और कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का प्रयास गृह मंत्री से मिलकर किया जाएगा।

 

डॉ. विमल चोपड़ा ने कहा देखने में आ रहा है कि पटेवा थानेदार लगातार लोगों से दुव्र्यवहार कर रहे हैं और पूरा थाना इस प्रकार से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। यहां लोगों से दुव्र्यवहार किया जाता है और लोगों को जबरन फंसाए जाने का काम किया जा रहा है। यहां तीन-चार ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसने आम जनता को हिला कर रख दिया है। पिछले दिनों देखने में आया कि 60 हजार रुपए की घूस यहां के स्टाफ ने नकली नोट छापने वाले और गांजा तस्करों से ली लेकिन महासमुंद एसपी ने चार सिपाहियों को निलंबित करने के बाद आगे की जांच की कार्रवाई नहीं की। जबकि उस खाते की जांच होनी चाहिए जिसमें यह पैसा आया है। उसी प्रकार विगत दिनों झलप में एक शराब तस्कर को पकड़ा गया। जो पटेवा थाने का क्षेत्र में आता है। जिस कमार खडिय़ा युवक ने आत्महत्या की है उसके लिए पूर्णत: उसके आत्महत्या का जिम्मेदार पटेवा थाना है।  

जबकि मौत के 2 माह पूर्व उस युवक ने एसपी को शिकायत भी की थी। यदि पहले ही यह जांच की कार्रवाई प्रारंभ होती तो वह युवक आत्महत्या नहीं करता।

 उन्होंने कहा कि इसको लेकर के शीघ्र ही एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से मिलकर के मांग करेगा कि थानेदार को तत्काल निलंबित कर इन सारे प्रकरणों की जांच कर उसे बर्खास्त किया जाए।  जिन प्रकरणों में घूस लेने की बात सामने आई है उसके लिए निलंबित करने या विभागीय कार्रवाई के बजाय एफआईआर दर्ज करके इन्हें जेल भेजा जाए।


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