महासमुन्द
चतुर्थ वर्ग के 315 पदों में 312 रिक्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 28 अक्टूबर। महासमुंद मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में 3 साल बाद भी स्टाफ नर्सों सहित सैकड़ों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्तियों नहीं हो पाई है। फलस्वरूप यहां अस्पतालयीन कार्य सहित मरीजों की आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो रही है। अस्पताल के नियमों के मुताबिक 6 मरीजों के पीछे जनरल वार्ड में 1 नर्स होनी चाहिए। लेकिन यहां 1.1 नर्स को 12 से 15 मरीजों की सेवाएं करनी पड़ रही है। फलस्वरूप दबाव अधिक होने की वजह से अपनी जिम्मेदारियां ठीक तरह से नहीं निभा पा रही है।
वर्तमान में जिला अस्पताल की 46 नसों के भरोसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल चल रहा है। इनमें से यदि कुछ नर्सेस छुट्टी पर चली जाए तो व्यवस्था और अधिक प्रभावित हो जाती है। मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल का कॉलेज बनने के बाद यहां 350 बेड बनें। इसके अलावा अने नए जनरल वार्डए दंत चिकित्सा, आईसीयू, गहन शिशु उपचार वार्ड, लेबर रूम में बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप यहां के लिए कुल 176 स्टॉफ नर्सों के पद स्वीकृत किये गए। लेकिन इन पदों में मात्र 1 स्टाफ नर्स की भर्ती हुई 175 पद रिक्त हैं। यहां वार्ड बॉय के कुल 205 पद स्वीकृत किए गए हैं। लेकिन इनमें केवल 4 कार्यरत हैं तथा 201 पद रिक्त हैं। यानी चतुर्थ श्रेणी के कुल 315 पदों में केवल 3 में ही भर्ती हुई है और 312 पद रिक्त हैं।
मालूम हो कि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद से यहां मरीजों की संख्या में बेतहशा वृद्धि हुई है। रोजाना 400 ओपीडी वाला मेडिकल कॉलेज गर्मी, बारिश और ठंड के सीजन में या फिर वायरल के दौरान 850 पार हो जाता है। ऐसे में लंबे समय से यहां नसौं की आवश्यकता महसूस की जा रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधाएं मशीनें तो बढ़ाई जा रही है। लेकिन अस्पताल को ठीक से संचालन करने के लिए मेन पावर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन इस विषय पर अनेक बार शासन से पत्र व्यवहार किया है। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला।
गौरतलब है कि जिला अस्पताल के ठीक सामने 3 तलों तथा 50 बिस्तर का सर्वसुविधायुक्त मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इस अस्पताल के लिए भी सेटअप स्टॉफ की भर्तियां पृथक से नहीं की जाएगी। बल्कि वर्तमान नर्सेस जो जिला अस्पताल में कार्यरत हैं उन्हीं से काम चलाया जाएगा। ऐसे में यह सवाल उठ रहा कि मेडिकल कॉलेज ही अभी स्टाफ की कमी से जूझ रहा है और यदि अस्पताल ब्लॉक के 50 बिस्तर अस्पताल की जिम्मेदारी नसों पर और लाद दी गई तो आखिरकार यहां उपचार की गुणवत्ता का क्या होगा।


