महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 29 जून। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने सरकार द्वारा की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को पूरी तरह विफल तथा शिक्षा के व्यवसायीकरण करने की दिशा में एक सोची-समझी भाजपाई नीति का हिस्सा बताया है।
श्री चंद्राकर ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बाद पूरे प्रदेश के जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों ने शासन के आदेश पर यह दावा किया था कि अब किसी भी स्कूल में शिक्षकों की कमी तथा शिक्षा व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी। यदिए ऐसा है तो महासमुंद जिले सहित प्रदेश भर के विभिन्न जिलों से शिक्षकों की कमीए शिक्षकों द्वारा पदभार ग्रहण नहीं करना तथा कहीं.कहीं विषय विशेष शिक्षकों की कमी संबंधी जो खबरे आ रही हैए उससे सरकार के सभी दावे खोखले साबित होते दिख रहा है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता के लिए आत्मानंद स्कूल खोले और शिक्षकों की भर्ती की। लेकिन सरकार बदलते ही शिक्षा विरोधी भाजपा की सरकार ने विद्यालयों से शिक्षकों को हटाकर सीधा:सीधा उन गरीब परिवार के बच्चों के शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया हैष जो अपनी शिक्षा के लिए शासकीय विद्यालयों पर निर्भर रहते हैं। आज युक्तियुक्तकरण के बाद भी शिक्षकों की कमी का दंश महासमुंद जिला झेलने को मजबूर नजर आ रहा है। जिसका सीधा प्रभाव महासमुंद जिला के शिक्षा व्यवस्था पर पडऩा तय है।
उन्होंने कहा कि आज आलम यह है कि कई स्कूलों में एकल शिक्षक प्रणाली है तो कई स्कूलों में विषय विशेष के शिक्षक नहीं है। ताजा उदाहरण झारा स्कूल का सामने आया है कि यहां भूगोल, हिन्दी, जीव विज्ञान आदि के शिक्षक ही नहीं है। इसके अलावा यहां गैर शिक्षकीय स्टाफ की भी समस्या बनी हुई है। भृत्य, स्वीपर के अभाव में बच्चों को ही पढ़ाई छोडक़र स्कूल की सफाई आदि कार्यों को करना पड़ता है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर शिक्षकों की संख्या कम कर भाजपा की साय सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को तहस.नहस कर दिया है। सरकार के मंत्री द्वारा 33 हजार शिक्षकों की भर्ती की घोषणा पहले ही ठंडे बस्ते में जा चुकी है। अब यह सरकार जमीं.जमाई शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर शिक्षा के निजीकरण की ओर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तकरण की जगह सरकार को नई भर्ती पर फोकस करना था। शिक्षा विभाग में अब भी बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली हैं। अपने घोषणा अनुरूप शिक्षकों की भर्ती कर रिक्त पदों को तत्काल भरा जाना चाहिए। ना की स्कूलों से शिक्षकों को हटाकर दूसरे स्कूलों में भेजा जाए।