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महासमुंद के 600 हेक्टेयर रकबे में होगी पाम की खेती, 350 से अधिक किसान कर रहे तैयारी
19-Jun-2025 2:21 PM
महासमुंद के 600 हेक्टेयर रकबे में होगी पाम की खेती, 350 से अधिक किसान कर रहे तैयारी

बंजर भूमि में रोपण के लिए टेनेरा किस्म के पौधे वितरण किए जाएंगे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,19जून। उद्यानिकी विभाग द्वारा अब जिले में जिले में पाम की खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए बंजर भूमि की उपयोगिता और किसानों की आय में बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं जिले में कुल 600 हेक्टेयर में पाम की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बताया जा रहा है कि शासन इस बार पाम की खेती पर जोर दे रही है। इसके लिए प्रदेश के 17 जिलों को शामिल किया गया है। इसमें महासमुंद जिले को भी चिन्हांकित किया गया है।

इसके लिए उद्यानिकी विभाग की ओर कार्य प्रारंभ कर दिया है। बताया जा रहा है कि पाम की खेती उन भूमि के लिए फ ायदेमंद साबित होगा, जो उपयोगहीन है, अर्थात बंजर भूमि है। किसान लंबे समय से इस भूमि का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में इस बंजर भूमि में पॉम की खेती की जा सकती है। वृक्ष में फल आने के बाद किसानों के लिए फ ायदेमंद साबित होगा। बताया जा रहा है कि इसके लिए उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों रोपण के लिए टेनेरा किस्म के पौधे वितरण किए जाएंगे। प्रत्येक हेक्टेयर में लगभग 143 पौधे लगाए जाएंगे। फसल की लागत लगभग चार लाख रुपए के आसपास आएगी। इसमें फेंसिंग, बोरवेल, पौधरोपण, रखरखाव अंतरवर्तीय फसल आदि प्रक्रिया को शामिल किया गया है। जब वृक्ष बड़े होंगे, इसके बाद वृक्ष से पाम के फल प्राप्त होंगे।

शासन की ओर से 50 फीसदी अनुदान की ओर प्रारंभिक रूप में जिले के लगभग प्रत्येक हेक्टेयर से लगभग 15 से 20 टन फलों का उत्पादन होगा। बताया जा रहा है कि प्रदेश का पॉम ऑयल के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए शासन की ओर से बाजार भी उपलब्ध कराए जाएंगे। केंद्र सरकार ने पॉम का समर्थन मूल्य 14.49 रुपए किलो ग्राम निर्धारित किया गया। जबकि इसका वास्तविक मूल्य 18.42 रुपए प्रति किलोग्राम है। इसके लिए शासन ने कई संस्थानों से अनुबंध किया है। इससे किसानों को बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि अनुबंधित सस्था ही फसल की खरीदी करेगी।

विभाग की और से बताया कि पॉम की खेती के लिए प्रत्येक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल लगाने में लगभग तीन लाख 10 हजार रुपए से लेकर चार लाख रुपए तक खर्च लागत आएगी। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 50 फीसदी का अनुदान दिया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार की ओर से लगभग एक लाख और प्राप्त होगी। यह लाभ एक वर्ष ही नहीं बल्कि, लगभग 25 से 30 वर्षों के के लिए लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए उद्यानिकी विभाग 500 किसानों को चिन्हांकित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके लिए किसानों को पॉम की खेती के बारे में बताए जा रहे हैं।

 

जानकारी अनुसार राज्य शासन की ओर से भी लगभग एक लाख रुपए तक अनुदान दिया जाएगा। इससे किसानों को इसकी खेती में 50 फ ीसदी लागत में राहत मिलेगी। इसके अलावा खेती के लिए रुपए नहीं होने पर लोन की सुविधा भी दी गई है। किसान अपनी आवश्यकता अनुसार बैंक से लोन भी प्राप्त कर सकते हैं। महासमुंद जिले में ही 350 से अधिक किसान पाम की खेती कर रहे हैं। किसानों की रुचि को देखते हुए अब उन्हें और भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक प्रति हेक्टेयर 10हजार 500 रुपए का अनुदान किसानों को दिया जाता था। लेकिन इस सीजन में अब अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है। हालांकि अब तक बढ़ी हुई अनुदान राशि नहीं आया है। पत्र आने के बाद स्पष्ट होगा।


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