महासमुन्द

संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा हलषष्ठी का व्रत, मांगी दुआएं
29-Aug-2021 7:09 PM
संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाओं  ने रखा हलषष्ठी का व्रत, मांगी दुआएं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 29 अगस्त।
जिले भर में कल शनिवार को हल षष्ठी का व्रत महिलाओं ने पूरी आस्था और विश्वास के साथ रखा। सगरी कुंड की पूजा की। भगवान बलराम का जन्मोत्सव मनाया। संतान की दीर्घायु की कामना की। महासमुंद नगर में जगह जगह सगरी कुंड में पूजन करती महिलाएं नजर आई। कुश आदि से कुंड को सजाया गया था। सरायपाली क्षेत्र के ग्राम पंचायत पैकिन में भी यह व्रत हर्ष और उत्साह के साथ मनाया गया। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह पर्व हर साल मनाया जाता है। महिलाएं व्रत रख कर विधि विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। 

कल सुबह से ही स्नान कर महिलाएं व्रत रखकर पूजा की तैयारी में जुट गई। ग्राम पैकिन के तिवारी मोहल्ले में रविंद्र के घर के आंगन में सांकेतिक तालाब बनाकर उसमें झरबेरी, पलाश की टहनियों व कांस की डाल को बांधी गई। फिर चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का व महुआ को बांस की टोकनी व मिट्टी के पात्र में भरकर दूध, दही, गंगा जल अर्पित करते हुए षष्ठी देवी के लिए आसन एक चौकी या पाटे पर गौरी गणेश, कलश रखकर हलषष्ठी देवी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की गई। 

इसी तरह ग्राम बिरकोनी कल राम जानकी परिषद, भाटापारा साहू छात्रावास के पास, दीनदयाल उपाध्याय चौक और घरों में हलषष्ठी पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। संतान के दीर्घायु के लिए माताओं ने हलषष्ठी व्रत रखा।

महासमुंद शहर में भी सुबह से ही महिलाएं पूजा अर्चना की तैयारियों में जुटी रही। श्री राम जनकी मंदिर परिसर में सुबह 11 बजे से देर शाम तक यह दौर चलता रहा। महिलाओं ने सगरी बनाकर खम्हार पत्ता, कांसी, बेल व फूलों से सजाया और हलषष्ठी माता का पूजन किया।

महिलाओं ने सगरी के पास मिट्टी के शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश, नंदी, भौंरा, बांटी, मिट्टी से बनाकर स्थापित किया। सगरी में छह लोटा जल अर्पित कर पूजा प्रारंभ किया। व्रतियों ने आचार्य लक्ष्मी नारायण वैष्णव से हलषष्ठी की कथा सुनी।

महासमुंद के वार्ड क्रमांक 15 दैहानी भांठा में बड़े धूमधाम से हलषष्ठी व्रत पूजन किया गया। वार्ड नं. 09 की पार्षद व सभापति माधवी महेन्द्र सिका ने अपने बच्चो के लिये हलषष्ठी व्रत किया। गौरतलब है कि भी व्रतधारी महिलाएं अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी व्रत रखती हैं। कहते हैं कि सि दिन बलराम जी की जयंती भी मनाई जाती है। इसे तीन छठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माताएं संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं और व्रत के दौरान कोई अन्न नहीं ग्रहण करती हैं। इसमें महुआ की दातुन की जाती है। हलषष्ठी व्रत में हल से जुते हुए अनाज और सब्जियों का प्रयोग वर्जित है। इस व्रत में वही वस्तु ग्रहण की जाती है जो तालाब या सरोवर में पैदा होती है या बिना जुते हुए भूमि में पाया जाता है। जैसे तिन्नी अथवा पसहर का चावल, कर्मुआ का साग इत्यादि। इस दिन गाय के किसी उत्पाद का प्रयोग नहीं होता है। 
 


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