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अप्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए रायपुर के मनीष तिवारी
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 5 नवंबर। छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए रायपुर रहवासी मनीष तिवारी ने लंदन में मीडिया, और विज्ञापन जगत में अलग पहचान बनाई है। मनीष छत्तीसगढ़ से पढ़ाई, और नौकरी के लिए ब्रिटेन गए युवाओं की यथासंभव मदद भी करते रहे हैं।
चौबे कालोनी निवासी मनीष तिवारी के पिता स्वर्गीय वीरेंद्र तिवारी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक थे। उनके चाचा नरेंद्र तिवारी, पूर्व कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ी विप्र सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष भी हैं। मंदिर हसौद के दरबा गांव से ताल्लुक रखने वाले मनीष तिवारी ने बीआईटी पिलानी से बीटेक, और फिर आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए करने के बाद कुछ समय यहां मुंबई में अंग्रेजी अखबारों में काम किया। इसके बाद वो लंदन चले गए, और Henendnow-365 नामक संस्था स्थापित की। इसके माध्यम से मीडिया, और विज्ञापन जगत में अलग पहचान बनाई है।
मनीष अपने अपार संपर्कों के लिए जाने जाते हैं। लंदन में वो छत्तीसगढ़ से आए युवाओं की मदद के लिए तत्पर रहते हैं।
संस्कृति विभाग के पूर्व उपसंचालक अशोक तिवारी ने मनीष तिवारी को सम्मानित करने पर छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद दिया, और कहा कि उन्होंने ( मनीष तिवारी) भारत की संस्कृति , भाषा , इतिहास , विज्ञान और तकनीक तथा उद्योग एवं व्यापार आदि सभी क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रहे हैं । मनीष ,छत्तीसगढ़ से इतने जुड़े हुए हैं कि हर तीन-चार महीने छत्तीसगढ़ आ ही जाते हैं । सुखद आश्चर्य हुआ कि अपने जीवन के अधिकतर साल छत्तीसगढ़ से बाहर रहने बावजूद भी वे छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरी तरह समझते हैं और गर्व के साथ काफ़ी कुछ बात भी कर लेते हैं । उन्हें सुआ , राउत नाचा आदि बहुत अच्छा लगते हैं । उनकी इच्छा है कि देश और दुनिया भर में निवासरत प्रवासी छत्तीसगढ़िया लोगों के लिए कोई स्थायी सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वे अपने पूर्वजों की भूमि से जुड़ने की ललक को पूरा कर सकें और उनका उनकी पूर्वजों की भूमि से तादात्म्य स्थापित हो सके ।


