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दिल्ली दंगा केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मोहम्मद सलीम ख़ान, शिफ़ा-उर-रहमान, मीरान हैदर की याचिकाओं पर सुनवाई की.
ये याचिकाएं 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी थीं. आरोप है कि दिल्ली दंगे किसी 'बड़ी साज़िश' का हिस्सा थे.
लाइव लॉ के मुताबिक़, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को तय की है.
इससे पहले शुक्रवार को पीठ ने उमर ख़ालिद, शरजील इमाम और गुलफ़िशा फ़ातिमा के पक्षों की दलीलें सुनना पूरा कर लिया था.
उनकी ओर से दाख़िल याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट के उस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हैं जो 2 सितंबर को सुनाया गया था. हाई कोर्ट ने उस दिन उनकी ज़मानत याचिकाएं ख़ारिज कर दी थीं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर ख़ालिद के पिता एसक्यूआर इलियास ने कहा, "जब दंगे हुए थे तब कुछ लोग दिल्ली में नहीं थे. इसके अलावा कहा गया है कि यह लोग व्हाट्सअप ग्रुप में थे, लेकिन वे लोग नहीं थे. और जो लोग ग्रुप के एडमिन थे उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया."
उन्होंने कहा, "इसी चार्जशीट के अंदर पहले तीन लोगों को बेल मिल चुकी है. इसलिए इन सभी को भी बेल मिलनी चाहिए."
ख़ालिद के पिता का कहना है कि पूरी चार्जशीट मनगढ़ंत है. यह उन लोगों को फंसाने की कोशिश है जिन्होंने सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था, जबकि असली मास्टरमाइंड आज़ाद घूम रहे हैं और कोई मंत्री बन गए. (bbc.com/hindi)


