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एचआईवी पीड़ित महिला के पहचान उजागर करने के बाद फिर नया मामला सामने आया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 31 अक्टूबर। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायपुर (मेकहारा) के गायनिक वार्ड में एक ही बेड पर दो प्रसूताओं और उनके नवजात शिशुओं को रखे जाने की घटना सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और इसे बेहद दुखद व अमानवीय करार दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि मेकाहारा अस्पताल की स्थिति चिंताजनक है और स्वास्थ्य सेवाओं में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से आगामी 6 नवंबर तक शपथपत्र के साथ विस्तृत जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट पहले भी मेकाहारा में फैली अव्यवस्था पर नाराजगी जता चुका है। कुछ समय पहले इसी अस्पताल के एक वार्ड में नवजात शिशु के सीने पर मेरी मां एचआईवी पॉजिटिव है लिखा पोस्टर लगाए जाने का मामला सामने आया था, जिसे अदालत ने अमानवीय और निंदनीय कृत्य बताया था। उस प्रकरण में एचआईवी पीड़ित महिला को दो लाख रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है, जिसकी भुगतान जानकारी शासन ने कोर्ट को सौंपी।


