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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 31 अक्टूबर। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जांच के लिए आवश्यक रिएजेंट की लगातार कमी पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। अदालत ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) को नया शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि रिएजेंट की कमी दूर करने के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। साथ ही बताना होगा कि पूर्व में जारी टेंडर प्रक्रिया की स्थिति क्या है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान सीजीएमएससी की ओर से बताया गया कि अब रिएजेंट की आपूर्ति के लिए सीधे खुले बाजार से खरीदी की जा रही है। शासन की ओर से भी यह स्वीकार किया गया कि टेंडर प्रक्रिया बार-बार रद्द होने के कारण तत्काल आपूर्ति के लिए बाजार से खरीदी की जा रही है।
ज्ञात हो कि रिएजेंट की कमी के चलते राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में खून, यूरिन, शुगर, लिवर और अन्य जरूरी जांच बंद पड़ी हैं। इससे गरीब मरीजों को मजबूरन निजी पैथोलॉजी केंद्रों का रुख करना पड़ रहा है, जहां उन्हें ऊंची फीस चुकानी पड़ रही है।
बिलासपुर, बलौदाबाजार, कोरबा, दंतेवाड़ा, कवर्धा, गरियाबंद, मुंगेली, नारायणपुर, राजनांदगांव, सुकमा, बलरामपुर और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जैसे जिलों में रिएजेंट की भारी कमी से आवश्यक टेस्ट लंबे समय से प्रभावित हैं।
हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपये की कीमत की जांच मशीनें केवल दिखावे के लिए नहीं होनी चाहिए। जब तक मशीनों से नियमित जांच और समय पर रिपोर्ट नहीं मिलेंगी, तब तक स्वास्थ्य व्यवस्था का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।


