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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 जुलाई। छत्तीसगढ़ में सूचना आयोग की चेतावनी को नजरअंदाज करना एक अफसर को भारी पड़ गया है। वन विभाग के खैरागढ़ में पदस्थ डीएफओ पंकज राजपूत को केंद्र सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उनसे 15 दिनों में जवाब मांगा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए।
जनवरी 2020 में रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने महासमुंद वन मंडल से हाथी हमले से जान-माल के नुकसान की जानकारी मांगी थी। उस वक्त के डीएफओ मयंक पांडे ने जवाब दिया कि दस्तावेज बहुत ज्यादा हैं, आकर निरीक्षण कर लें, जो दस्तावेज चाहिए वो मुफ्त में दे देंगे। मामला सूचना आयोग पहुंचा।
आयोग ने 15 फरवरी 2021 को सुनवाई के दौरान कहा कि आवेदक को जबरदस्ती निरीक्षण के लिए नहीं कहा जा सकता। जो जानकारी मांगी गई है, वो मुफ्त में भेजें। साथ ही आदेश दिया कि मुफ्त दी गई जानकारी की कीमत दोषी अफसर से वसूल कर सरकारी खजाने में जमा की जाए।
जब अगली सुनवाई हुई, तब तक मयंक पांडे का तबादला हो गया और उनकी जगह पंकज राजपूत महासमुंद के डीएफओ बने। उन्होंने 28 अगस्त 2021 को आयोग को बताया कि महाधिवक्ता की राय ली जा रही है और हाईकोर्ट में अपील की प्रक्रिया चल रही है, 15 दिन का समय मांगा। आयोग ने कहा- हाईकोर्ट का स्थगन आदेश लाकर दें।
लेकिन अगली दो सुनवाइयों (17 सितम्बर 2021 और 18 अप्रैल 2022) में भी कोई आदेश नहीं लाया गया। आयोग ने माना कि जानबूझकर मामला लटकाया जा रहा है और 3 अगस्त 2022 को सरकार से पंकज राजपूत पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर दी।
2025 में जब यह बात फिर से सूचना आयोग के सामने आई कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, तो आयोग ने सरकार से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद 11 जुलाई 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पंकज राजपूत को नोटिस थमा दिया कि उन्होंने अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती है, जो अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 का उल्लंघन है।
अब पंकज राजपूत को 15 दिन के भीतर जवाब देना है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।