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मवेशी मुक्त हाइवे के लिए अन्य राज्यों के मॉडल की अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करें- हाईकोर्ट
26-Nov-2024 12:00 PM
मवेशी मुक्त हाइवे के लिए अन्य राज्यों के मॉडल की अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करें- हाईकोर्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 26 नवंबर। छत्तीसगढ़ में नेशनल और स्टेट हाइवे को मवेशी मुक्त बनाने के उद्देश्य से दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ ने कहा कि अन्य राज्यों के इस संदर्भ में अपनाए गए रोडमैप को समझना और उसकी प्रभावशीलता को परखना आवश्यक है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अदालत को राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मवेशी मुक्त सड़कों के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। साथ ही, प्रस्तावित कार्ययोजना को लागू करने के लिए सरकार ने समय मांगा है। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए निर्देश दिया कि दिसंबर के पहले सप्ताह तक एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) जारी की जाए।

युगलपीठ ने कहा कि यह जानना जरूरी है कि अन्य राज्यों ने सड़कों को मवेशी मुक्त बनाने के लिए क्या नीति और कार्ययोजना बनाई है। कोर्ट ने इन प्रपोजल्स का अध्ययन कर उसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

यह याचिका अधिवक्ता पलाश तिवारी और संजय रजक द्वारा, अधिवक्ता सुनील ओटवानी के माध्यम से दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि प्रदेश के मुख्य मार्गों और शहरी सड़कों पर मवेशियों को खुले में छोड़ दिया जाता है, जिससे दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। विशेष रूप से नेशनल हाइवे पर रात के समय जानवरों के कारण बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं।

हाईकोर्ट ने पहले की सुनवाई में नगर निगमों के अफसरों को तलब कर आवारा मवेशियों की संख्या की जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार को मवेशियों को हटाने के लिए चरवाहों की व्यवस्था करनी चाहिए और जिम्मेदार मालिकों पर पेनाल्टी लगानी चाहिए।

सड़कों पर बैठे मवेशियों की वजह से प्रदेश में कई बार हादसे हुए हैं, जिनमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। याचिका में सरकार की ओर से इस समस्या पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होने पर सवाल उठाए गए थे।


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