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कोरोना: सहयोग की उम्मीद के बीच जयशंकर पहुंचे अमेरिका
24-May-2021 8:09 PM
कोरोना: सहयोग की उम्मीद के बीच जयशंकर पहुंचे अमेरिका

भारत में कोरोना के टीके की भारी कमी के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर पांच दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंच गए हैं. जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि जयशंकर कोविड-19 से भारत की लड़ाई में ज्यादा अमेरीकी सहयोग के लिए बातचीत करेंगे.

 डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा

विदेश मंत्री एस जयशंकर 24 से 28 मई तक अमेरिका में रहेंगे. यह जो बाइडेन के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने के बाद भारत की तरफ से किसी उच्च पदाधिकारी की पहली यात्रा है. दोनों देशों के बीच रिश्तों और सामरिक सहयोग के नजरिए से इस दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अमेरिका में विदेश मंत्री वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से मुलाकात करेंगे.

इसके अलावा वो भारत-अमेरिका रिश्तों पर काम रहे बाइडेन सरकार के दूसरे मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिलेंगे. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक जयशंकर की "भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और कोविड-संबंधी सहयोग पर अमेरिका के व्यापारिक समूहों" से भी बातचीत होगी. मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर न्यू यॉर्क भी जाएंगे जहां वो संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश से भी मिलेंगे.

विदेश मंत्री की अमेरिका यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब कोविड-19 के टीकों की भारी कमी से जूझ रहा भारत मदद के लिए अमेरिका की तरफ देख रहा है. भारत सरकार ने जुलाई के अंत तक 30 करोड़ लोगों को टीके की दोनों खुराक देने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक पूरे देश में सिर्फ करीब 15 करोड़ लोगों को पहला इंजेक्शन लगा है और चार करोड़ को दूसरा.

अमेरिका से मदद
टीकाकरण की रफ्तार भी धीमी होती जा रही है. अप्रैल में रोजाना 36 लाख इंजेक्शन लगाए जा रहे थे लेकिन पिछले सप्ताह तक यह दर गिर कर 14 लाख इंजेक्शन प्रतिदिन पर आ गई थी. भारत में टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल दोनों ही टीके, कोवैक्सिन और कोविशील्ड, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं. रूस की स्पूतनिक वी भी अब भारत में लाई जा चुकी है, लेकिन वो भी सीमित मात्रा में उपलब्ध है.

मॉडर्ना और फाइजर जैसी कंपनियों के टीकों को भारत में लाने के लिए भी सरकार ने रास्ता साफ कर दिया है, लेकिन इनसे समझौतों पर हस्ताक्षर अभी भी नहीं हो पाए हैं. मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया जा रहा है कि इन हालात के मद्देनजर अमेरिका में जयशंकर वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के नुमाइंदों से भी मिलेंगे. यूनिसेफ ने कुछ ही दिनों पहले यह भी कहा था कि जी7 और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को उन देशों को कोविड टीकों की 15 करोड़ खुराकें दे देनी चाहिए जो इस समय इनकी कमी से जूझ रहे हैं.

भारत के वादे
ब्रिटेन की एक कंपनी एयरफिनिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि इन देशों ने जून, जुलाई और अगस्त में इस्तेमाल करने के लिए अपने पास टीकों की जो खुराक जमा कर रखी हुई है, वो अगर उसमें से सिर्फ 20 प्रतिशत दुनिया के साथ साझा करें तो दुनिया में टीकों की कमी को कुछ कम किया जा सकता है.

हालांकि जानकारों का मानना है कि जयशंकर की अमेरिका यात्रा के और पहलू भी हैं. वरिष्ठ पत्रकार संदीप दीक्षित ने डीडब्ल्यू को बताया कि गुटेरेश से मुलाकात के दौरान टीकों के अंतरराष्ट्रीय वितरण के लिए बने गठबंधन 'गावी' के कोवैक्स कार्यक्रम के तहत टीकों की खुराकें देने के भारत के वादे पर चर्चा भी हो सकती है. भारत सरकार ने दर्श के अंदर फैली कोरोना की घातक लहर और टीकों की कमी के मद्देनजर अपने अंतरराष्ट्रीय वादों से कदम पीछे ले लिया है. संदीप दीक्षित ने यह भी कहा कि ब्लिंकेन से जयशंकर की मुलाकात में अमेरिकी मदद के बदले भारत से भी कुछ आश्वासन लेने पर बात हो सकती है.


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