सामान्य ज्ञान

भारत में बिजली की खपत कितनी है?
28-Mar-2021 11:29 AM
भारत में बिजली की खपत कितनी है?

बिजली की खपत के मामले में भारत दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी पिछड़ा है। मिसाल के तौर पर देश में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 917 किलोवाट घंटे है, जबकि चीन, जर्मनी और अमेरिका में यह दर क्रमश: 3,298, 7081 और 13,246 किलोवाट घंटे है।  इस मामले में वैश्विक औसत 2600 किलोवाट घंटे है।  यानी यहां यह खपत वैश्विक औसत की एक-तिहाई है।  इससे देश में बिजली की मांग और उत्पादन के बीच का अंतर समझ में आता है। 
केंद्र सरकार के मोटे अनुमान के मुताबिक, भारत की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में 250 अरब अमेरिकी डालर के निवेश की जरूरत होगी।  इस साल फरवरी तक देश की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 261.006 गीगावाट थी।  इसे तेजी से बढ़ाना जरूरी है।  आजादी के बाद के छह दशकों में देश में कोयले पर आधारित बिजली का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और 1947 के 756 मेगावाट के मुकाबले पिछले साल तक यह बढ़ कर 1 लाख 53 हजार 571 मेगावाट तक पहुंच चुका था, लेकिन देश की तेजी से बढ़ती आबादी के लिहाज से यह भी नाकाफी है।  देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का विरोध किसी से छिपा नहीं है।  वैकल्पिक स्रोतों के अभाव में देश में अगले दो-तीन दशकों के दौरान कोयले पर आधारित बिजली का उत्पादन बढऩा तय है।  तभी घर-घर में बिजली पहुंचाने का सपना साकार होगा। 

स्वाति नक्षत्र
स्वाति नक्षत्र आकाश मंडल में 15 वांनक्षत्र होकर इसका स्वामी राहु यानी अंधकार है। कहावत भी है कि जब स्वाति नक्षत्र में ओंस की बूंद सीप पर गिरती है तो मोती बनता है। दरअसल मोती नहीं बनता बल्कि ऐसा जातक मोती के समान चमकता है।
राहु कोई ग्रह नहीं है न ही इसका आकाश में स्थान है। यह पृथ्वी का उत्तरी धु्रव है। स्वाति नक्षत्र की राशियां उत्तरी धु्रव पर पडऩे के कारण है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वाति नक्षत्र में जन्मे ऐसे जातक परिश्रमी होते हैं। ये स्वप्रयत्नों में अपनी नींव रखते हैं और सफलता पाते हैं। यह तुला राशि में आता है। रू रे रो रा नाम से इसकी पहचान होती है। इस नक्षत्र स्वामी की दशा 18 वर्ष की चंद्र के अंशों के अनुसार होती है।
 


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