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आज ही के दिन फारस को ईरान नाम मिला था
21-Mar-2021 12:10 PM
आज ही के दिन फारस को ईरान नाम मिला था

फारसी भाषा वाले देश फारस का नाम आज ही के दिन यानी 21 मार्च को बदल कर ईरान किया गया। 1935 में औपचारिक रूप से ईरान अस्तित्व में आया।
ईरान की सरकार ने 1935 में उन सभी देशों से खुद को फारस के बजाय ईरान कहे जाने के लिए अनुरोध किया, जिनसे उनके राजनयिक संबंध थे। फारसी भाषा में देश को ईरान नाम से ही जाना जाता रहा है। कहा जाता है कि नाम बदलने का प्रस्ताव जर्मनी में ईरान के राजदूत की रफ से आया था। माना जाता है कि ईरान में रेजा शाह के शासन में आने के साथ ही वहां एक नए युग की शुरूआत हुई। फारस को ब्रिटेन और रूस के प्रभाव से काफी हद तक आजाद समझा जा रहा था। इसके पहले वहां कजारों का राज था और ब्रिटेन और रूस का वहां काफी असर था। ईरान के विदेश मामलों के मंत्री ने तेहरान के सभी विदेशी उच्चायोगों को एक सर्कुलर भेजा। उस सर्कुलर में कहा गया कि फारस देश अब ईरान के नाम से जाना जाएगा और 21 मार्च 1935 से ही औपचारिक रूप से ईरान अस्तित्व में आया।
वर्ष 1953 में अमेरिका की खूफिया एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन आयाक्स शुरू किया। उसने राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और धार्मिक नेताओं को रिश्वत देकर मुसादेक के खिलाफ करना शुरू किया। उधर शाह रजा पहलवी को मोसादेक को बर्खास्त करने के लिए तैयार किया गया। शाह की सेना ने हस्तक्षेप किया और इस तरह ईरान में लोकतांत्रिक परीक्षण का अंत हुआ। शाह को इसके बाद अमेरिका से बड़े पैमाने पर मदद मिली। इसके बाद 1979 में अयातुल्लाह खोमैनी की इस्लामी क्रांति ने शाह का तख्ता पलट किया।
ईरान   जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है।  इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अजऱबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफग़़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को 1979 में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहां के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यत: तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहां की मुख्य भाषा है।
ईरान को पारंपरिक रूप से मध्यपूर्व का अंग माना जाता है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से यह मध्यपूर्व के अन्य देशों से जुड़ा रहा है। यह अरब सागर के उत्तर तथा कैस्पियन सागर के बीच स्थित है और इसका क्षेत्रफल 16 लाख 48 हजार वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा है।  समुद्र तल से तुलना करने पर ईरान का सबसे निचला स्थान उत्तर में कैस्पियन सागर का तट आता है जो 28 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जबकि कूह-ए-दमवन्द जो कैस्पियन तट से सिर्फ 70 किमी. दक्षिण में है, सबसे ऊंचा शिखर है। इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 5 हजार 610 मीटर है।
 


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