सामान्य ज्ञान
विश्व कैंसर दिवस प्रत्येक वर्ष 4 फऱवरी को मनाया जाता है। आधुनिक विश्व में कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज़्यादा लोगों की मृत्यु होती है। विश्व में इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सके और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके।
विश्वभर के कैंसर संबंधी वर्ष 2012 के आंकड़ों में कैंसर के 1.41 करोड़ नए मामले सामने आने और कैंसर से 82 लाख मौत होने का अनुमान है। एक अनुमान के अनुसार वैश्विक जनसंख्या में वृद्धि होने और लोगों पर बढ़ती उम्र के प्रभाव के कारण वर्ष 2025 तक कैंसर के नए मामले बढक़र 1.93 करोड़ हो जाएंगे। वर्ष 2012 में सभी प्रकार के कैंसरों के आधे से अधिक मामले (56.8 प्रतिशत) और कैंसर से मौतें (64.9 प्रतिशत) विश्व के अल्पविकसित क्षेत्रों में हुए और वर्ष 2025 तक इन आंकड़ों के और भी अधिक बढऩे के संकेत हैं।
वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने एक विश्व कैंसर घोषणापत्र लागू किया था, जिसमें बीमारी के बारे में नुकसानदायक मिथकों और गलतफहमियों को दूर करना मुख्य रूप से शामिल किया गया था। पिछले वर्ष यानि 2014 में विश्व कैंसर दिवस का नारा मिथक हटाओ, के अधीन कैंसर के बारे में नुकसानदायक मिथकों और गलतफहमियों को दूर करने पर जोर दिया गया था। एक वर्ष के बाद, वर्ष 2015 में इसका नारा बदल गया है। इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस का नारा है- हमसे बढक़र नहीं ।
इस्टालिनग्राड
3 फऱवरी सन 1943 ईसवी को जर्मनी और पूर्व सोवियत संघ के बीच इस्टालिनग्राड नामक रक्तरंजित युद्ध समाप्त हुआ। इसमें सोवियत संघ की सेना को विजय प्राप्त हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की सेना ने सोवियत संघ के बड़े भाग पर अधिकार कर लेने के बाद महत्वपूर्ण नगर इस्टालिनग्राड पर 17 जुलाई सन 1942 से आक्रमण आरंभ किया। भीषण सर्दी और खाद्य सामग्री के अभाव और इसी प्रकार सोवियत संघ की संना के निरंतर आक्रमण के कारण जर्मन सेना घिर गयी और भारी क्षति उठाने के बाद उसने हथियार डाल दिए। इस्टालिनग्राड को अब वोल्गोग्राड कहा जाता है।


