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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार कब से दिए जा रहे हैं?
03-Feb-2021 12:27 PM
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार कब से दिए जा रहे हैं?

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को स्कूल की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होते हैं।
इन पुरस्कारों में निम्न पांच पुरस्कार शामिल हैं- भारत पुरस्कार, (1987 से),  गीता चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से),  संजय चोपड़ा पुरस्कार, (1978 से),  बापू गैधानी पुरस्कार, (1988 से)और सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, (1957 से)।
सबसे पहले राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हरीश मेहरा को दिया दिया था।  2 अक्टूबर,1957 में 14 साल की उम्र के बालक हरीश मेहरा ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पंडित जवाहर लाल नेहरू और तमाम दूसरे गणमान्य नागरिकों को एक बड़े हादसे से बचाया था। उस दिन पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम आदि नई दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रही रामलीला देख रहे थे कि अचानक उस शामियाने के ऊपर आग की लपटें फैलने लगीं, जहां ये हस्तिय़ां बैठी थीं। हरीश वहां पर वॉलंटियर की ड्यूटी निभा रहे थे। वे फौरन 20 फीट ऊंचे खंभे के सहारे वहां चढ़े तथा अपने स्काउट के चाकू से उस बिजली की तार को काट डाला, जिधर से आग फैल रही थी। यह कार्य करने में हरीश के दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए थे। हरीश के इस साहस से पंडित नेहरु अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर ऐसे बहादुर बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। सबसे पहला पुरस्कार हरीश चंद्र मेहरा को प्रदान किया गया। 
26 जनवरी, 2015 को वर्ष 2014 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार  25 बच्चों को दिए गए, जिनमें 9 लड़कियां शामिल हैं। पांच पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए। इनमें प्रमुख हैं-
1. भारत पुरस्कार -दिल्ली की कुमारी महिका।  
2. गीता चोपड़ा पुरस्कार-राजस्थान की मलिका सिंह ।
3. संजय चोपड़ा पुरस्कार-महाराष्ट्र के शुभम संतोष चौधरी।  
4. बापू गैधानी पुरस्कार-महाराष्ट्र के  मास्टर संजय नवासू सुतार, महाराष्ट्र के अक्षय जयराम रोज, उत्तर प्रदेश की स्व. कुमारी मौसमी कश्यप और स्व. मास्टर आर्यन राज शुक्ला।

तमलुक
तमलुक भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्वी मेदिनापुर जनपद का मुख्यालय है। माना जाता है कि तमलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्त नगर है जो प्राचीन भारत में एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र था। यह नगर बंगाल की खाड़ी से सटे हुए रूपनारायण नदी के किनारे स्थित है।
हालांकि अब तमलुक उसकी प्राचीन समृद्धि अथवा गौरव के कोई चिन्ह  दिखाई नहीं देते हैं। इसे हिंदू और बौद्ध दोनों ही अपना तीर्थस्थान मानते हैं।
 


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