सामान्य ज्ञान
ड्रिप प्रणाली सिंचाई की उन्नत विधि है, जिसके प्रयोग से सिंचाई जल की पर्याप्त बचत की जा सकती है। यह विधि मृदा के प्रकार, खेत के ढाल, जल के स्त्रोत और किसान की दक्षता के अनुसार अधिकतर फसलों के लिए अपनाई जा सकती हैं। ड्रिप विधि की सिंचाई दक्षता लगभग 80-90 प्रतिशत होती है। फसलों की पैदावार बढऩे के साथ-साथ इस विधि से उपज की उच्च गुणवत्ता, रसायन एवं उर्वरकों का दक्ष उपयोग, जल के विक्षालन एवं अप्रवाह में कमी, खरपतवारों में कमी और जल की बचत सुनिश्चित की जा सकती है।
इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है। सीमित जल संसाधनों और दिनों दिन बढ़ती हुई जलावश्यकता और पर्यावरण की समस्या को कम करने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक नि:सन्देह बहुत कारगर सिद्ध होगी। जिन क्षेत्रों में भूमि को सममतल करना मंहगा और कठिन या असंभव हो उन क्षेत्रों में व्यावसायिक फसलों को सफलतापूर्वक उगाने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक सर्वाधिक उपयुक्त है। ड्रिप तंत्र एक अधिक आवृति वाला ऐसा सिंचाई तंत्र है जिसमें जल को पौधों के मूलक्षेत्र के आसपास दिया जाता है। ड्रिप सिंचाई के द्वारा पौधे को आवश्यकतानुसार जल दिया जा सकता है। ड्रिप सिंचाई के द्वारा 30-40 प्रतिशत तक उर्वरक की बचत, 70 प्रतिशत तक जल की बचत के साथ उपज में 100 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। इसके अतिरिक्त खरपरवारों में कमी, ऊर्जा की खपत में बचत और उत्पाद की गुणवत्ता में बढ़ोतरी भी होती है।
फर्टिगेशन दो शब्दों फर्टिलाइजऱ अर्थात् उर्वरक और इर्रिगेशन अर्थात् सिंचाई से मिलकर बना है। ड्रिप सिंचाई में जल के साथ-साथ उर्वरकों को भी पौधों तक पहुंचाना फर्टिगेशन कहलाता है। ड्रिप सिंचाई में जिस प्रकार ड्रिपरों के द्वारा बूंद-बूंद कर के जल दिया जाता है, उसी प्रकार रासायनिक उर्वरकों को सिंचाई जल में मिश्रित करके उर्वरक अंत: क्षेपक यंत्र की सहायता से ड्रिपरों द्वारा सीधे पौधों के पास पहुंचाया जा सकता है। फर्टिगेशन उर्वरक देने की सर्वोत्तम तथा अत्याधुनिक विधि है।
फर्टिगेशन को फसल एवं मृदा की आवश्यकताओं के अनुरूप उर्वरक और जल का समुचित स्तर बनाए रखने के लिए अच्छी तकनीक के रूप में जाना जाता है। जल और पोषक तत्वों का सही समन्वय अधिक पैदावार और गुणवत्ता की कुंजी है। फर्टिगेशन द्वारा उर्वरकों को कम मात्रा में जल्दी-जल्दी और कम अंतराल पर पूर्वनियोजित सिंचाई के साथ दे सकते हैं, इससे पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल जाते हैं और मूल्यवान उर्वरकों का अपव्यय भी नहीं होता है।
वाटरलू
दुनिया में वाटरलू नामक कम से कम दो नगर हैं।
1. वाटरलू -यह नगर संयुक्त राज्य अमरीका, के पूर्वी आइओवा प्रांत में, सीडर नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां पर नदी लगभग 200 से 900 फुट तक चौड़ी है, एवं सर्वदा स्वच्छ जल से परिपूर्ण रहती है। इसके लगभग 90 मील पश्चिम की ओर ब्यूक तथा 275 मील पश्चिम में शिकागो नगर स्थित है। इस नगर में 90 प्रतिशत गोरे लोग रहते हैं। यहां पर कृषि तथा पशुपालन ही मुख्य उद्यम हैं तथा दुग्ध व्यवसाय का यह एक प्रधान केंद्र है। अन्य उद्योगों में ट्रैक्टर, मोटर आदि बनाना ही मुख्य है।
2. वाटरलू- यह नगर बेल्जियम में स्थित है। यहीं पर इतिहास प्रसिद्ध वह युद्ध हुआ था जिसमें नेपोलियन बोनापार्ट को हार का सामना करना पड़ा था। इसी युद्ध के कारण इसका नाम प्रसिद्ध हो गया।


