सामान्य ज्ञान

लाल किताब ज्योतिष का एक ग्रंथ है। इसके मूल रचयिता का नाम अज्ञात एवं विवादास्पद है। भारत के पंजाब प्रांत के ग्राम फरवाला (जिला जालंधर) के निवासी पंडित रूप चंद जोशी जी ने इसे सम् 1939 से 1952 के बीच में इसके पांच खण्डों की रचना की। इस किताब को मूल रूप से उर्दू एवं फारसी भाषा में लिखा गया है। यह ग्रंथ सामुद्रिक तथा समकालीन ज्योतिष पर आधारित है। इस के पांच संस्करण उपलब्ध हैं और हर भाग अपने आप में संपूर्ण है।
इस पद्धति के नियम आम प्रचलित ज्योतिष से कुछ भिन्न हैं। इस किताब के कई रूपांतर हिन्दी में उपलब्ध हैं जो कि मूलत: लाल किताब 1952 का रुपांतर हैं। लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतंत्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी कुछ अपनी निजी विशेषताएं हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है।
शरीर द्रव्यमान सूचकांक
शरीर द्रव्यमान सूचकांक (अंग्रेज़ी-बॉडी मास इंडैक्स, -बी.एम.आई) या एन्थ्रोपोमैट्रिक सूचकांक, ये बताता है कि किसी के शरीर का भार उसकी लंबाई के अनुपात में ठीक है या नहीं। उदाहरण के लिये भारतीय लोगों के लिए उनका बी.एम.आई 22.9 से अधिक नहीं होना चाहिए।
एक युवा व्यक्ति के शरीर का अपेक्षित भार उसकी लंबाई के अनुसार होना चाहिए, जिससे कि उसका शारीरिक गठन अनुकूल लगे। शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बीएमआई) व्यक्ति की लंबाई को दुगुना कर उसमें भार किलोग्राम से भाग देकर निकाला जाता है।