सामान्य ज्ञान

देश में बाघ संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार 2006 में बाघों की अनुमानित संख्या 1411 थी, जिसकी निचली और ऊपरी सीमा क्रमश: 1165 और 1657 थी। 2010 की गणना के अनुसार यह संख्या बढक़र 1706 हो गई, जिसकी निचली संख्या 1520 और ऊपरी संख्या 1909 थी।
बाघों को बचाने के लिए वन्य जीव (सुरक्षा) कानून, 1972 में संशोधन किया गया, ताकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और बाघ एवं अन्य लुप्तप्राय प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन किया जा सके। बाघ आरक्षित वन क्षेत्र या बाघों की अधिक संख्या वाले क्षेत्र से संबंधित अपराधों के मामले में सजा में बढ़ोत्तरी की गई है। बाघ संरक्षण गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के लिए 4 सितंबर 2006 से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया गया। इसके साथ बाघ आरक्षित वन क्षेत्र का प्रबंधन मानकों के अनुरूप सुनिश्चित करने, बाघ आरक्षित वन क्षेत्र के लिए विशेष रूप से बाघ संरक्षण योजना बनाने, संसद के समक्ष वार्षिक लेखा रिपोर्ट प्रस्तुत करने, मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य स्तर की संचालन समितियों का गठन करने और बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्थापना करने की कार्यवाही भी की गई। वन्य जीवों के गैरकानूनी व्यापार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए 6 जून 2007 को बहु आयामी बाघ एवं अन्य लुप्तप्राय प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो) की स्थापना की गई।