सामान्य ज्ञान

काग्युद्पा
23-Feb-2022 12:08 PM
काग्युद्पा

काग्युद्पा एक तिब्बती शब्द है जिसका अर्थ है-आया हुआ शब्द), यह तिब्बत में तीसरा सबसे बड़ा बौद्ध मत है।  इसके सदस्य 11वीं शताब्दी के शिक्षक मार-पा के शिष्य हैं। मार-पा एक घरेलू जीवन व्यतीत करते हुए भी बौद्ध धर्म की पुस्तकों का अनुवादक थे। मार-पा ने भारत में महायोगी (आध्यात्मिक पुरुष) नारोपा से शिक्षा ग्रहण की। यह मत हठ योग (शक्ति के योग) की कठोरतर साधना व्यवहार पर बहुत बल देता है। मार-पा के प्रमुख शिष्य मि-ला-रास-पा (मिलरिपा) थे, जिन्हें तिब्बत के इतिहास में महानतम संत कवि के रूप में सम्मान दिया जाता है।

मि-ला-रस-पा ने स्गम-पो-पा को शिक्षा दी, जिनके शिष्यों ने काग्युद्पा मत की छह शाखाएं स्थापित कीं, जो प्रमुखत: अपने मठों के नाम से जानी जाती हैं। परन्तु इनके सिद्धांतों में बहुत कम विभिन्नता है। इनमें से कर्मा-पा (लाल टोप के नाम से प्रचलित एक उपशाखा) 15वीं शताब्दी के प्रारंभ से 17वीं शताब्दी तक वर्तमान प्रभुत्व वाले दगे-लग्स-पा का तिब्बत के मतों के अधिकार के लिए प्रमुख प्रतिद्वंद्वी था। उधर, भूटान में ब्रग-पा बौद्ध धर्म का मुख्य मत बन गया है।


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