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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
17-Dec-2021 10:41 AM
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) की स्थापना शिवरामन समिति  की सिफारिशों के आधार पर  कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम 1981 को लागू करने के लिए संसद के एक अधिनियम के द्वारा 12 जुलाई 1982, को की गई थी। नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई में है।

नाबार्ड ने कृषि ऋण विभाग  एवं भारतीय रिजर्व बैंक के ग्रामीण योजना और ऋण प्रकोष्ठ (रुरल प्लानिंग एंड क्रेडिट सेल, आरपीसीसी) तथा कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) को प्रतिस्थापित कर अपनी जगह बनाई। यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख एजेंसियों में से एक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जो संस्थान निवेश और उत्पादन ऋण उपलब्ध कराते हैं उनके वित्तपोषण की एक शीर्ष एजेंसी के रूप में यह कार्य करता है। यह ऋण वितरण प्रणाली की अवशोषण क्षमता के लिए संस्थान के निर्माण की दिशा में उपाय करता है, जिसमें निगरानी, पुनर्वास योजनाओं के क्रियान्वयन, ऋण संस्थाओं के पुनर्गठन, कर्मियों के प्रशिक्षण में सुधार, इत्यादि शामिल हैं। सभी संस्थाएं जो मूलत: जमीनी स्तर पर विकास में लगे काम से जुड़ी हैं, नाबार्ड उनकी ग्रामीण वित्तपोषण की गतिविधियों के साथ समन्वय रखता है, तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई  एवं नीति निर्धारण के मामलों से जुड़ी अन्य राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के साथ तालमेल बनाए रखता है। यह अपनी पुनर्वित्त परियोजनाओं की निगरानी एवं मूल्यांकन का उत्तरदायित्व ग्रहण करता है।

भारत सरकार ने हर्ष कुमार भनवाला को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक - नाबार्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है।  हर्ष कुमार भनवाला ने सितंबर 2013 में सेवानिवृत्त हुए डॉ प्रकाश बक्शी का स्थान लिया। हर्ष कुमार भनवाला का कार्यकाल पांच वर्ष का है।


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