सामान्य ज्ञान
रसखान
25-Jun-2021 12:55 PM
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हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है। रसखान को रस की ख़ान कहा जाता है। इनके काव्य में भक्ति, श्रंगार रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं।
रसखान कृष्ण भक्त हैं और प्रभु के सगुण और निर्गुण निराकार रूप के प्रति श्रद्धालु हैं। रसखान के सगुण कृष्ण लीलाएं करते हैं। जैसे कि बाललीला, रासलीला, फागलीला, कुंजलीला आदि। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधी में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। सैय्यद इब्राहीम रसखान का जन्म उपलब्ध स्रोतों के अनुसार सन् 1533 से 1558 के बीच कभी हुआ होगा। अकबर का राज्यकाल 1556-1605 है, ये लगभग अकबर के समकालीन हैं। रसखान की मृत्यु के बारे में कोई प्रामाणिक तथ्य नहीं मिलते हैं। रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में भी किया था।
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