सामान्य ज्ञान

जैव विविधता अधिनियम क्या है?
31-May-2021 12:30 PM
जैव विविधता अधिनियम क्या है?

जैवविविधता अधिनियम, 2002 (Biological Diversity Act 2002) भारत में जैवविविधता के संरक्षण के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। जो परंपरागत जैविक संसाधनों और ज्ञान के उपयोग से होने वाले लाभों के समान वितरण के लिए एक तंत्र प्रदान करता है। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) की स्थापना 2003 में जैव विविधता अधिनियम, 2002 को लागू करने के लिए की गई थी। एनबीए एक सांविधिक, स्वायत संस्था है। यह संस्था जैविक संसाधनों के साथ-साथ उनके सतत उपयोग से होने वाले लाभ की निष्पक्षता और समान बटवारे जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के लिए सलाहकार और विनियामक की भूमिका निभाती है।
जैवविविधता के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ लगातार प्रयास कर रहा है। वन्य जीव जन्तु और फ्लोरा की विलुप्त प्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन-सीआईटीईएस पर 3 मार्च, 1973 को वाशिंगटन डीसी में हस्ताक्षर किए गए थे। वर्ष 2000 के अगस्त में इस सम्मेलन के 152 देश सदस्य थे। सीआईटीईएस का उद्देश्य वन्य जीव के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध लगाना है। विश्व संरक्षण संघ-आईयूसीएन विश्व स्तर पर देशों, सरकारी एजेंसियों और विभिन्न प्रकार की गैर सरकारी संस्थाओं को एक मंच पर लाने की कोशिश करता है। खाद्य और कृषि के लिए पादत आनुवांशिक संसाधन पर अंतर्राष्ट्रीय खाद्य संधि पर नवम्बर, 2001 में  रोम में हस्ताक्षर किए गए थे। जिसे कृषि के लिए सभी संयंत्र आनुवांशिक संसाधनों के संरक्षण और स्थाई उपयोग के लिए एक कानूनी रूप से बाध्यकारी रूप रेखा बनाने के लिए अपनाया गया था। जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) 1992 एक बहुपक्षीय संधि है।  इस संधि के तीन मुख्य लक्ष्य हैं -जैसे जैविक विविधता का संरक्षण उनके घटकों का निरंतर प्रयोग और उनसे होने वाले लाभ के निष्पक्ष और समान वितरण ।


अन्य पोस्ट