सामान्य ज्ञान
पश्चिम में 15वीं शताब्दी में भारत को खोजने की होड़ छिड़ी थी। कई नाविक भटक रहे थे, लेकिन 20 मई 1498 को वास्को डी गामा से कालीकट पहुंच कर भारत को खोज ही निकाला।
यूरोपीय देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था। अरब देशों के साथ यूरोप का व्यापार था। यूरोप अरब जगत से मसाले, खासकर काली मिर्च और चाय खरीदता था, लेकिन अरब कारोबारी उन्हें ये नहीं बताते थे कि ये मसाले और चाय कहां पैदा होते हैं। यूरोप इतना समझ चुका था कि अरब कारोबारी कुछ छुपा रहे हैं। रोमन सभ्यता के इतिहास से उन्हें पता था कि पूर्व में एक अलग संस्कृति वाला समृद्ध देश है। उस देश को खोजने बड़ी संख्या में यूरोप के नाविक निकल पड़े। इनमें एक नाम था इटली के क्रिस्टोफर कोलंबस का। भारत खोजने निकले कोलंबस अटलांटिक महासागर में भटक गए और अमेरिका की तरफ पहुंच गए। कोलंबस को शुरुआत में लगा कि उन्होंने भारत खोज लिया है, इसीलिए वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस कहा गया।
कोलंबस की पहली यात्रा के करीब पांच साल बाद जुलाई 1497 में पुर्तगाल के युवा नाविक वास्को डी गामा भारत की खोज में निकले। उनका अपना जहाज सेंट गाब्रियल 200 टन का था।
कहा जाता है कि वास्को डी गामा सीधे दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. वहां उन्होंने कई भारतीयों को देखा। उन्हीं के जरिए वास्को डी गामा को पता चला कि भारत अभी और आगे है। दक्षिण अफ्रीका के आखिरी छोर के मोड़ कैप ऑफ गुड होप का मोड़ काटते ही वो हिंद महासागर में दाखिल हो गए। इसके बाद उनके ज्यादातर साथी बीमार पड़ गए। खाना कम पड़ गया। जान बचाने के लिए वो मोजाम्बिक में रुके। मोजाम्बिक के सुल्तान को उन्होंने यूरोपीय उपहार दिए। तोहफों से सुल्तान ऐसे खुश हुए कि उन्होंने वास्को डी गामा की भरपूर मदद की ।
आखिरकार 20 मई 1498 को वास्को डी गामा कालीकट के तट पर पहुंच गए। कालीकट के राजा ने उनसे कारोबार करने की हामी भरी। कालीकट में तीन महीने बिताने के बाद वो वापस पुर्तगाल लौटे। उनके 199 नाविकों में सिर्फ 55 जिंदा बचे। 1499 में वास्को डी गामा के लिस्बन पहुंचने के बाद पूरे यूरोप में भारत की खोज की खबर फैलने लगी।
इसके बाद कब्जे का दौर शुरू हुआ। 1502 को पुर्तगाल के राजा ने वास्को डी गामा को 20 नौसैनिक जहाजों के साथ भारत के लिए रवाना किया। पुर्तगाली कालीकट और उसके आस पास के इलाके को अपने नियंत्रण में रखना चाहते थे। पूर्वी अफ्रीका के तट के सहारे वास्को डी गामा ने अरबों पर बर्बर हमले किए। कालीकट पहुंचने पर भी हमले जारी रहे। कालीकट के राजा के आत्मसमर्पण के बाद कोच्चि के राजा से समझौता किया। इसके तहत मसालों का कारोबार बनाए रखने की संधि हुई। 1503 में वास्को डी गामा पुर्तगाल लौट गए। वहां 20 साल रहने के बाद वो फिर भारत आए। 1524 में तीसरी बार भारत पहुंचे वास्को डी गामा की तबीयत गड़बड़ा गई। 24 मई 1524 को उनकी मौत हो गई। पहले उन्हें कोच्चि में ही दफनाया गया। बाद में 1538 में कब्र खोदी गई और वास्को डी गामा के अवशेषों को पुर्तगाल लाया गया। लिस्बन में आज भी उस जगह एक स्मारक है जहां से वास्को डी गामा ने पहली भारत यात्रा शुरू की।


