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राया एंड द लास्ट ड्रैगन: 67 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक फिल्म
07-Mar-2021 5:21 PM
राया एंड द लास्ट ड्रैगन: 67 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक फिल्म

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-वाईवेट टैन

इसमें भले ही 90 साल का लंबा वक्त लगा, लेकिन डिज्नी की पहली दक्षिण पूर्व एशियाई हीरोइन का आखिरकार गुरुवार को प्रीमियर हो गया.

राया मूवी राया एंड द लास्ट ड्रैगन की मुख्य किरदार हैं. इसमें राया इस पूरे इलाके का ट्रैवल करती हैं और दुनिया को बचाने की कोशिश में लोगों को एकजुट करती हैं.

लेकिन, मानवता को बचाने की जिम्मेदारी के अलावा उनके कंधों पर एक और बोझ भी है.

दक्षिण पूर्व एशिया में 11 देश आते हैं और यहां की आबादी करीब 67.3 करोड़ है. इस पूरे इलाके में यहां दर्जनों अलग-अलग संस्कृतियां हैं.

इससे एक बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि आखिरकार दक्षिण पूर्व एशिया की पहचान क्या है और क्या डिज्नी की हालिया हीरोइन के जरिए वाकई में इसे रूप देने की कोशिश की गई है?

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कुमांद्रा की कहानी
यह फिल्म कुमांद्रा नामक एक काल्पनिक जगह की कहानी है. यहां पांच जनजातियां रहती हैं.

इनमें से हरेक की एक अलग संस्कृति है और ये दक्षिण पूर्व एशिया के अलग-अलग इलाकों से प्रेरित हैं.

डायरेक्टर डॉन हॉल ने बताया कि इस इलाके की पृष्ठभूमि में फिल्म बनाने का आइडिया उनकी टीम के इस इलाके के दौरे के बाद आया.

फिल्म आज के दौर को नहीं दिखाती है. लेकिन, इसमें इस बात की कल्पना की गई है कि यह पूरा इलाका हजारों साल पहले कैसा दिखता होगा.

इसमें दक्षिण पूर्व एशिया की झलकियां नजर आती हैं. मसलन, राया एक ऐसी टोपी पहनती हैं जो कि सालाकोट जैसी दिखती है.

यह फिलीपींस में पहनी जाने वाली पारंपरिक टोपी के जैसी है.

राया की आवाजाही का साधन टुक टुक है. इस इलाके में आवाजाही का एक लोकप्रिय साधन रिक्शा है और यह उसका ही प्रतिनिधित्व करता है.

साथ ही उनकी लड़ाई की तकनीक सिलाट से मिलती-जुलती है. यह मलेशिया और इंडोनेशिया में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली मार्शल आर्ट है.

इस फिल्म के प्रोड्यूसर ओसनट शुरेर ने कहा है कि उन्होंने यहां के सुझावों को देखने की कोशिश की.

इनमें से एक अहम आइडिया समुदाय और एक साथ काम करने से जुड़ा हुआ है.

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दक्षिण पूर्व एशियाई पहचान क्या है?
कुछ लोगों की शिकायत यह है कि इस मूवी में मूल रूप से इस इलाके की अलग-अलग संस्कृतियों के टुकड़ों को उठाया गया है और इनका घालमेल करके परोस दिया गया है.

हालांकि, मलेशियाई मूल की एडेले लिम, जो कि इस मूवी की को-स्क्रिप्टराइटर हैं, कहती हैं कि इल मूवी में चीजों को कहीं ज्यादा गंभीरता से देने की कोशिश की गई है.

वे कहती हैं, "अगर आप सांस्कृतिक प्रेरणा की बात करते हैं तो यह केवल लुक्स तक सीमित नहीं है. हमने इसमें कहीं ज्यादा गहराई तक जाने की कोशिश की है."

"मिसाल के तौर पर, राया के पिता उनके लिए सूप बनाते हैं. आप देखिए कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में लोगों का खाने-पीने के जरिए प्रेम दिखाने पर कितना जोर रहता है."

हालांकि इंडोनेशिया की एक ट्विटर यूजर ने बीबीसी से कहा है कि उन्हें लगता है कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया को दिखाना नामुमकिन है. उन्हें लगता है कि यह फिल्म एक खास संस्कृति तक ही सीमित है.

लेकिन, फिल्म बनाने वालों का कहना है कि यह मूवी इस इलाके से प्रेरित है और इसका मकसद किसी एक संस्कृति या देश पर फोकस करने का बिलकुल नहीं है.

वियतनामी मूल के अमरीकी को-स्क्रिप्टारइटर क्वी एनगुएन कहते हैं, "हमने एक पूरी तरह से नई कहानी बुनी है. लेकिन, इसका डीएनए ऐसा है जो कि हकीकत से जुड़ा हुआ है. हम एक ऐसी कहानी नहीं दिखाना चाहते जहां पर खराब शख्स थाईलैंड का हो और अच्छे लोग मलेशिया के हों."

ओपन यूनिवर्सिटी मलेशिया के एसोसिएट प्रोफेसर डेविड लिम कहते हैं, "दक्षिण पूर्व एशियाई पहचान क्या है इस पर खुद दक्षिण पूर्व एशिया के लोग अभी विचार कर रहे हैं."

वे कहते हैं कि इस इलाके में रहे उपनिवेशवाद ने भी हर देश की संस्कृति पर असर डाला है. मसलन, वियतनाम फ्रांस की कॉलोनी रहा है, जबकि इंडोनेशिया पर डच लोगों का शासन रहा.

वे कहते हैं, "मुझे लगता है कि दक्षिण पूर्व एशिया में कुछ लोगों को उनके क्षेत्रीय पड़ोसियों के बारे में कम पता होगा. मसलन, वियतनाम के लोगों को शायद थाइलैंड से ज्यादा फ्रांस के बारे में पता होगा."

वे एक उदाहरण देकर कहते हैं कि दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों का एक तबका खुद को वैसे दक्षिण पूर्वी एशियाई के तौर पर नहीं देखता है, जैसे कि यूरोप के लोग खुद को यूरोपीय के तौर पर मानते हैं.

वे कहते हैं, "इस इलाके में राष्ट्रवाद को समझना भी जरूरी है. मुझे लगता है कि यहां एक राष्ट्रवादी प्रतिस्पर्धा चल रही है."

वे कहते हैं कि एक फिल्म में इस पूरे इलाके को दिखा पाने की उम्मीद करना बेमानी है. (bbc.com)
 


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