तेलंगाना, महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं
मो. इमरान खान
भोपालपटनम, 8 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। भोपालपटनम में महाशिवरात्रि पर 50 वर्षों से भगवान शिव और पार्वती की शादी 70 के दशक से मंदिर परिसर में कराई जा रही है। तेलुगू रीति रिवाज से होने वाले इस शादी में सैकड़ों भक्त बारात बनकर मंदिर पहुंचते हैं, जहाँ पूरे विधि विधान शिव-पार्वती की शादी की जाती है।
जानकारों ने बताया कि यह शिवलिंग राजा महाराजा जमाने से रखी हुई है, यह कई वर्षों से पूजा-अर्चना की जा रही है। शिव कल्याण के इस कार्यक्रम में सबसे पहले मण्डप सजाने के लिए बैल गाडिय़ों में जंगल से पत्तों की डलियां लाई जाती है जिसे तेलगू में पाला पोरका कहा जाता है।
मंदिर के मंडप पर पाला पोरका डाला जाता है। उसी दिन शाम को बारात को मंदिर से शिव पार्वती की मूर्तियां लेकर गांधी चौक में बड़े ही धूमधाम से सगाई की रस्म अदा की जाती है।
मंदिर से जब बारात गांधी चौक पहुंचती है तब बजे गाजे के साथ लाइटिंग से वाहन को सजाया जाता है, उनके साथ ही भक्त पहुंचते है। सुबह अभिषेक के कार्यक्रम के बाद मंदिर परिसर के मण्डप में शादी की रस्में की जाती है।
इस कार्यक्रम को देखने और भगवान के दर्शन करने तेलंगाना, महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हंै। यह मेला तकरीबन 50 वर्षों से लगाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के आखिरी दिन भोज का कार्यक्रम रखा जाता है। इस त्योहार में मेला का आयोजन भी होता है रोड के किनारे दुकानें लगाई जाती है।
राज्य के कोने-कोने से व्यापारी यह व्यापार करने आते हैं। रायपुर, भिलाई, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर गीदम बीजापुर व पड़ोसी राज्य से व्यापारी यहां आते हंै।
सन 1978 में बनारस से लाई थी भगवान की मूर्तियां
शिव मंदिर में लगाई गई मूर्तियों को बनारस से लाया गया है। राजाराम सोनी ने बताया कि उन्होंने उस समय दस से बारह हजार में अष्ठ धातु की मूर्तियां लाई थी, तब से यह शादी का कार्यक्रम चालू हुआ है।
तेलुगू रीति रिवाज से होती है शादी की रस्में
आंध्र के तेलुगू रीति-रिवाजों के अनुसार शिव-पार्वती कल्याणम विवाह के साथ ही शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसके पहले मंडपाच्छादन एवं शिवजी की बारात, जिसे तेलुगू में एदरुकोल कहा जाता है, निकालकर बारात का स्वागत किया जाता है।
तीन दिन का शुभ मुहूर्त और कार्यक्रम
मेले के दौरान तीन दिन का शुभ मुहूर्त और कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें गुरुवार 7 मार्च को मंडपाच्छादन जलाभिषेक सुबह 9 बजे बारात स्वागत किया गया। शुक्रवार को अभिषेक कार्यक्रम सुबह 4 बजे से हवन सुबह 10.30 बजे रखा गया है और शिव कल्याणम दोपहर 2 बजे से होगा, रात को शोभायात्रा निकाली जाएगी। अंतिम दिन रविवार को भोज का कार्यक्रम किया जाएगा।
रामदयाल राजाराम सोनी व्यापारी कहते हैं कि जब से मेला सजाया जा रहा है तब से मैं मंदिर समिति में रहकर कार्य किया है। मंदिर में जो मूर्तियां है वो बनारस से मैंने जाकर लाई थी, उस समय उनकी कीमत दस से बारह हजार की थी।
आनंद कुमार पडि़शालावार मंदिर समिति अध्यक्ष कहते हैं कि भगवान शिव और पार्वती की शादी शुभ मुहूर्त के साथ 8 तारीख को रखी गई है, इस बार सभी आयोजन भव्य ढंग से किया जा रहा है। मंदिर के कायाकल्प पर भी काम किया जा रहा है।
जी. मुरलीधर कहते हैं- बचपन से मैं यह कार्यक्रम में हिस्सा लेता हुआ आ रहा हंू, मेरे बाबूजी के समय से ही कार्यक्रम की शुरुआत मेरे ही घर से की जाती थी, तलवाल चावल मेरे घर में रखा जाता था, हमारा परिवार पूरी श्रद्धा भावना से मंदिर के कार्यों में हमेशा लगा रहता है।
रवि कुमार रापर्ति मंदिर समिति उपाध्यक्ष कहते हैं कि इस साल मेले का कार्यक्रम बहुत ही अच्छे ढंग से किया जा रहा है। मंदिर में बहुत से कार्यक्रमों को और बेहतर ठंग से करने का प्लान किया गया है, अभी बहुत सी राशि जन सहयोग भी जमा की गई है
महेश कुमार शेट्टी शिव मंदिर समिति सचिव ने बताया कि इस बार मंदिर में भक्तिमय माहौल है सभी कार्यक्रमो में भक्त बढ़चढक़र हिस्सा ले रहे हैं। जीर्णोद्धार का काम समिति के द्वारा हुआ है मंदिर और बेहतर लगने लगा है।