बलौदा बाजार

इसे संवारने पर 15 साल में 3 करोड़ फूंके फिर भी यह हाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 अप्रैल। शहर के सबसे पुराने और बड़े तालाबों में एक रामसागर आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। 4 से 5 वार्डों के लिए यह निस्तारी के साथ ग्राउंड लेवल रिचार्ज करने का भी आम स्रोत है। अभी गर्मी ठीक से सिर पर चढ़ी भी नहीं और तालाब में पानी सूखने लगा है। बचा खुचा पानी भी इस्तेमाल लायक नहीं क्योंकि पूरे तालाब में जलकुंभी उग आई है। इसकी तेज गंध के चलते पानी भी बदबूदार है।
यह हाल तब है जब पालिका पिछले डेढ़ दशक में इस तालाब को बचाने और संवारने पर तकरीबन 3 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। इतने काम के बाद भी तालाब का ऐसा हाल क्यों, इसकी पड़ताल में पता चला कि तालाब में प्राचीन समय से ही पानी फिल्टर करने के लिए एक सिस्टम काम कर रहा था, आम बोलचाल में इसे पैठू कहा जाता है। आज की स्थिति में एक चौथाई पैठू पर कब्जा हो चुका है।
यह पैठू तालाब के जल स्रोतों में भी अहम भूमिका निभाते आया है। पुराने समय में यहां लोग रोज स्नान के लिए आते थे। तालाब का पानी तब इतना साफ बताया जाता है कि इसकी सतह पर पड़ा सिक्का भी साफ नजर आता है। लोग इस पानी का इस्तेमाल भोजन पकाने के लिए करते थे। अब तालाब का पैठू पूरी तरह कब्जे में है। प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है
ऐसे काम करता है पैठू
रामसागर तालाब का पैठू तालाब के लिए प्राकृतिक फिल्टर का काम करता है। बारिश के दौरान जब पानी कैचमेंट एरिया से तालाब तक पहुंचता है। तो बहने वाली गंदगी और कचरा पैठू में ही रुक जाते है। साफ पानी तालाब तक पहुंचता है। अब पैठू में बेतहाशा कब्जा है। इससे होने वाली गंदगी तालाब में मिल रही है।
आलम यह है कि जिस तालाब से कभी घर की रसोई में खाना पकाया था आज वह नहाने लायक भी नहीं है। लोग भी इस बारे में चिंतित है। प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बदबू से आसपास परेशानी
रामसागर तालाब की सफाई और पैठू का गहरीकरण अब आवश्यक है। समय रहते इसके रखरखाव और सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसकी स्थिति और खराब हो जाती हो सकती है।
नगर के बुजुर्ग बताते हैं कि कुछ दशक पहले तक रामसागर तालाब के पानी का उपयोग दाल पकाने के लिए किया जाता था लेकिन अब तालाब का पानी इतना गंदा हो चुका कि इसकी बदबू से आसपास के इलाकों में लोगों को परेशानी होने लगी है।
सीवरेज का पानी मिला रहे
रामसागर तालाब के पैठू के आसपास के दर्जनों घरों का निस्तारी और सीवरेज पानी सीधे तालाब में बहाया जाता जा रहा है। इस कारण तालाब का पानी गंदा हो गया है। स्थानीय प्रशासन और पालिका की लापरवाही के कारण इस कब्जे को हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।