जिला नदियां
अजमेर साबरमती,सरस्वती, खारी, ड़ाई, बनास
अलवर साबी, रुपाढेल, काली, गौरी, सोटा
बांसबाड़ा माही, अन्नास, चैणी
बाड़मेर लूनी, सूंकड़ी
भरतपुर चम्बल, बराह, बाणगंगा, गंभीरी, पार्वती
भीलवाडा बनास, कोठारी, बेडच, मेनाली, मानसी, खारी
बूंदी कुराल
धौलपुर चंबल
डूंगरपुर सोम, माही, सोनी
श्रीगंगानगर धग्धर
जयपुर बाणगंगा, बांड़ी, ढूंढ, मोरेल, साबी, सोटा, डाई, सखा, मासी
जैसलमेर काकनेय, चांघण, लाठी, धऊआ, धोगड़ी
जालौर लूनी, बांड़ी, जवाई, सूकड़ी
झालावाड़ काली सिन्ध, पर्वती, छौटी काली सिंध, निवाज
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नागौर लूनी
पाली लीलड़ी, बांडी, सूकड़ी जवाई
सवाई माधोपुर चंबल, बनास, मोरेल
सीकर काटली, मन्था, पावटा, कावंट
सिरोही बनास, सूकड़ी, पोसालिया, खाती, किशनावती, झूला, सुरवटा
टोंक बनास, मासी, बांडी
उदयपुर बनास, बेडच, बाकल, सोम, जाखम, साबरमती
चित्तौडगढ़ वनास, बेडच, बामणी, बागली, बागन, औराई, गंभीरी, सीवान, जाखम, माही।
क्या है रमन इफेक्ट
28 फरवरी, 1928 में भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने प्रकाश के विवर्तन का शोध दुनिया के सामने रखा था। इसे रमन इफेक्ट के नाम से जाना जाता है।
जब भी प्रकाश की किरण किसी कण में जाती है तो प्रकाश के तरंग दैध्र्य में बदलाव होता है। अगर रोशनी किसी धूल रहित पारदर्शी केमिकल कंपाउंड से गुजरती है तो उसका एक हिस्सा आने वाली रोशनी के रास्ते से थोड़ा बदल जाता है। विवर्तित रोशनी का अधिकतर हिस्सा तो उसी ऊर्जा के साथ रहता है लेकिन उसकी वेवलेंथ बदल जाती है। इसी शोध को रमन प्रभाव का नाम दिया गया है।
रोशनी में फोटोन होते हैं, जो किसी पदार्थ या कण से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण फोटोन फैल जाते हैं, लेकिन उनकी ऊर्जा उतनी ही रहती है। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ फोटोन टक्कर के बाद कण से या तो ऊर्जा लेते हैं या फिर देते हैं। इससे उनकी फ्रीक्वेंसी या तो कम या ज्यादा हो सकती है। इस बदलाव के जरिए ही रोशनी के विवर्तन के दौरान पैदा हुई ऊर्जा को नापा जा सकता है।
चंद्रशेखर वेंकट रमन, भारत के भौतिक विज्ञानी थे। सात नवंबर 1888 को पैदा हुए रमन को प्रकाश के विवर्तन का पता लगाने के लिए 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उस समय के मैसूर स्टेट में पैदा होने वाले सीवी रमन को 1954 में भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया।