-मनोज चतुर्वेदी
बीसीसीआई तमाम मुश्किलों के बावजूद आईपीएल-14 के बाकी मैचों का आयोजन करने जा रहा है. बायो बबल में भी जब कोरोना वायरस ने जब सेंध लगा दी और कुछ खिलाड़ी और स्टाफ जब इससे संक्रमित हो गए तो आईपीएल के आयोजकों को इसे बीच में ही रोकने पर मजबूर होना पड़ा था.
अब यह आयोजन 18 से 20 सितंबर के बीच संयुक्त अरब अमीरात में शुरू होगा और 10 अक्तूबर को इसका फ़ाइनल मैच खेले जाने की संभावना है.
लेकिन साथ ही इस चरण में कई विदेशी खिलाड़ियों के अनुपस्थिति रहने की भी संभावना है. इस कारण फ्रेंचाइजी टीमों के लिए पूरी तरह संतुलित टीम उतारना खासा मुश्किल हो सकता है. जानकारों का कहना है कि इसकी चमक पहले जैसी रहने की संभावना भी कम ही है.
आयोजन का आर्थिक कारण
बीसीसीआई इस बात को अच्छे से जानता है कि विभिन्न टीमों के व्यस्त कार्यक्रम और अक्तूबर महीने में टी-20 विश्व कप का आयोजन आईपीएल की राह में प्रमुख रोड़ा है. पर बीसीसीआई की नज़र इसके स्थगन से हुए 2500 करोड़ रुपये के नुक़सान की भरपाई पर टिकी है.
यही वजह है कि बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा कि हमारा मुख्य फोकस आईपीएल का आयोजन करना है, इसमें किसी विदेशी खिलाड़ी की अनुपस्थिति से कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला है.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार सिरीज़ खेलने फिर टी-20 विश्व कप की तैयारी में जुटने की वजह से कई देशों के खिलाड़ियों की इसमें भाग नहीं लेने के बावजूद भी इसका आयोजन किया जा रहा है.
इंग्लैंड के क्रिकेटर नहीं आएंगे
इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों को रिलीज़ करने से साफ़ इनकार कर दिया है. इसका मतलब है कि कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान इयॉन मोर्गन के साथ-साथ जॉनी बेयरेस्टो, जोस बटलर, मोइन अली, सैम करन और बेन स्टोक्स जैसे दिग्गज खिलाड़ी आईपीएल के इस चरण में खेलते नज़र नहीं आएंगे.
इसके अलावा बांग्लादेश ने अपने खिलाड़ी साकिब अल हसन और मुस्ताफ़िजुर रहमान को खेलने की अनुमति देने से मना कर दिया है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया ने अभी इस बारे में कोई फ़ैसला नहीं लिया है. उनके खिलाड़ी आईपीएल से लौटने के दौरान दो बार क्वारंटीन में रहे और 31 मई को ही अपने परिवारों से मिल सके हैं. इस दवाब की वजह से ही ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ पैट कमिंस ने दूसरे चरण में भाग लेने से इनकार कर दिया है.
कैरेबियाई लीग से टकराव भी परेशानी का सबब
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का मामला अभी सुलझाया जाना बाक़ी है और अगर वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी भी नहीं आते हैं तो आईपीएल की चमक एकदम से फीकी पड़ जानी तय है.
असल में कैरेबियन प्रीमियर लीग का आयोजन 28 अगस्त से 19 सितम्बर तक होना है. इस स्थिति में वेस्ट इंडीज के खिलाड़ियों का आईपीएल में पहुँचना मुश्किल हो सकता है. वह किसी तरह पहुँच भी गए तो कई टीमों के शुरुआती मैच निकल जाएंगे.
इसके समाधान के लिए बीसीसीआई से क्रिकेट वेस्ट इंडीज से अपनी इस टी-20 लीग को हफ़्ते-दस दिन पहले शुरू करने का आग्रह किया है.
ऐसा होने पर वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी- क्रिस गेल, केरन पोलार्ड, निकोलस पूरन, आंद्रे रसेल की अगुआई में आईपीएल के दूसरे चरण में खेलने समय पर पहुँच सकते हैं.
विदेशी खिलाड़ियों का सबसे ज़्यादा प्रभाव
विदेशी स्टार खिलाड़ियों के नहीं आने से सबसे ज़्यादा प्रभावित राजस्थान रॉयल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स की टीमों को होना है. ये दोनों टीमें पहले चरण में चार और छह अंक बनाकर पहले ही पिछड़ी हुई हैं.
कोलकाता के लिए तो मुख्य समस्या इंग्लैंड के कप्तान इयॉन मोर्गन के नहीं आने पर कप्तान के चयन की होगी. इसके अलावा पैट कमिंस ने भी आगे खेलने से इनकार कर दिया है, तो साकिब को बांग्लादेश बोर्ड ने छोड़ने से मना कर दिया है.
यह स्थिति ही उसकी मुश्किलें बढ़ाने वाली है और यदि वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी आंद्रे रसेल और सुनील नरेन भी नहीं आते हैं तो दमदार टीम उतारना संभव नहीं रह जाएगा. हालांकि वेस्ट इंडीज के खिलाड़ियों के आ जाने पर कमिंस की कमी लॉकी फर्ग्यूसन को खिलाकर पूरी की जा सकती है.
वहीं राजस्थान रॉयल्स का अभियान पहले ही पटरी से उतरा हुआ है. अब जोफ्रा आर्चर, जोस बटलर और बेन स्टोक्स की अनुपस्थिति में टीम का आगे बढ़ना और भी मुश्किल हो सकता है.
पंजाब किंग्स, चेन्नई सुपरकिंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद की टीमों पर भी प्रभाव पड़ना तय है. पहले चरण में इनमें से सिर्फ़ चेन्नई सुपरकिंग्स ही बेहतर प्रदर्शन कर सकी है.
उन्होंने पिछले सीजन में प्लेऑफ़ में नहीं पहुँच पाने से उबरते हुए इस बार पहले सात मैचों में 10 अंक बनाकर अपने इरादे जता दिए हैं. लेकिन इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोइन अली और सैम करन दोनों का ही इस चरण में अनुपस्थित रहना तय है. पर सीएसके इस झटके से उबरने का माद्दा रखती है.
लेकिन पंजाब किंग्स आठ मैचों में छह अंक बनाकर और सनराइजर्स हैदराबाद के सात मैचों में दो अंक बनाने से उनकी गाड़ी पहले ही पटरी से उतरी हुई है. पंजाब किंग्स की बल्लेबाजी की जहाँ तक बात है तो विश्व के नंबर एक टी-20 खिलाड़ी डेविड मलान के नहीं होने का ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा. पर झाय रिचर्डसन, रिले मेरडिथ और क्रिस जॉर्डन की अनुपस्थिति में गेंदबाज़ी अटैक ज़रूर कमज़ोर पड़ जाना है.
सनराइज़र्स के लिए जॉनी बेयरेस्टो का नहीं खेलना तगड़ा झटका होगा. वहीं डेविड वार्नर और जेसन होल्डर भी नहीं आते हैं तो उनके अभियान की जान ही निकल जानी है.
दिल्ली पर सबसे कम प्रभाव
दिल्ली कैपिटल्स ने पहले चरण में सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है और वह आठ मैचों में 12 अंक बनाकर शिखर पर है. उसके ऊपर विदेशी खिलाड़ियों के नहीं आने का कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. स्टीव स्मिथ नहीं आते हैं तो रहाणे उस जगह को संभाल सकते हैं.
इंग्लैंड के क्रिस वोक्स और टॉम करन दोनों ऐसे गेंदबाज हैं, जिनके न आने की भरपाई की जा सकती है. दिल्ली कैपिटल्स की बल्लेबाज़ी की जान भारतीय बल्लेबाज़ हैं.
मुंबई इंडियंस और आरसीबी भी ऐसी टीमें हैं, जिनके ऊपर विदेशी स्टार की कमी ज़्यादा नहीं खलेगी. यह सही है कि ग्लेन मैक्सवेल के आने से आरसीबी की बल्लेबाज़ी मजबूत हुई है. पर ख़ुदा-न-ख़ास्ता वह नहीं आते हैं तो गिलक्रिस्ट के साथ विराट कोहली मध्यक्रम में खेलकर इस कमी को पूरा कर सकते हैं.
मुंबई इंडियंस को भी पोलार्ड की कमी खेलगी पर उनके पास भी इसकी भरपाई करने के विकल्प हैं. वैसे भी यह तीनों टीमें प्ले-ऑफ़ खेलने की दावेदार हैं.
आईपीएल के तत्काल बाद यानी 18 अक्टूबर से भारत में टी-20 विश्व कप का आयोजन होना है. भारत ने आयोजन के बारे में पक्का फ़ैसला करने के लिए जून तक का समय मांगा हुआ है.
अगर भारत में कोरोना से हालात नहीं सुधरते हैं तो इस विश्व कप का भी आयोजन संयुक्त अरब अमीरात में होगा. हालांकि इसका मेज़बान भारत ही रहेगा.
पर इस स्थिति में संयुक्त अरब अमीरात को विश्व कप के लिए मैदान और विकेट तैयार करने के लिए कम से कम तीन हफ़्ते का समय तो चाहिए.
इस स्थिति में आईपीएल के प्ले-ऑफ़ मुक़ाबले एक स्थान पर आयोजित कर बाकी दो स्टेडियम विश्व कप की तैयारी के लिए सौंपे जा सकते हैं.