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विंडोज एक्सपी कब शुरू हुआ था?
09-Apr-2021 12:07 PM
विंडोज एक्सपी कब शुरू हुआ था?

कम्पयूटर की दुनिया में विंडोज़ एक्सपी एक जाना - पहचाना नाम है। इसकी बिक्री अक्टूबर 2001 में शुरू हुई थी और इसे ग्राहकों ने काफी पसंद किया। बाजार शोध फर्म नेट एप्लीकेशंस के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2012 तक ये माइक्रोसॉफ्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम था। हालांकि इसके बाद विंडोज़-7 आगे निकल गया।
ये सॉफ्टवेयर आज भी कई सरकारी संस्थानों में काफी लोकप्रिय है और कुछ अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया की ज्यादातर कैश मशीनों में आज भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर की लंबी उम्र की वजह ये नहीं है कि एक्सपी में दूसरों के मुकाबले कुछ खास है, बल्कि इसकी बड़ी वजह बाद में आने वाले संस्करणों में हुई देरी है। ऐसे में इस ऑपरेटिंग सिस्टम के सपोर्ट लाइफ को बढ़ा दिया गया। लंबे समय तक एक ही ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने के चलते कंपनियों को इससे एक तरह का लगाव सा हो गया।
 एक्सपी को अक्टूबर 2001 में लॉन्च किया गया था। यह विंडोज़ के सबसे ताजा ओएस विंडोज़ 8 से (जो अक्टूबर 2012 को लॉन्च हुआ) से 11 साल और तीन जेनरेशन पीछे है। अब विंडोज़ एक्सपी  के लिए माइक्रोसॉफ्ट का तकनीकी सपोर्ट खत्म हो गया है। इसी के साथ माइक्रोसॉफ्ट के सबसे लंबे समय से चल रहे ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) के अंत की शुरुआत हो गई है। 8 अप्रैल, 2014 से  विंडोज़ एक्सपी यूजर को कंपनी की तरफ से कोई अपडेट और टेक्निकल सपोर्ट मिलना भी बंद हो गया है।   सपोर्ट बंद होने के बाद भी आप विंडोज़ एक्सपी का इस्तेमाल कर सकेंगे, लेकिन इसको इस्तेमाल करने को लेकर खतरे बढ़ जाएंगे।
 

मस्टर्ड गैस

मस्टर्ड गैस एक प्रकार का रासायनिक हथियार है।  पहले विश्व युद्घ में मस्टर्ड गैस का पहली बार इस्तेमाल हुआ था। हालांकि युद्घ से बहुत पहले ही इसके साथ प्रयोग किए गए थे। जर्मन रसायनशास्त्री विलहेम लोमेल और विलहेम स्टाइंकोपिन ने 1916 में हथियार के रूप में इसके इस्तेमाल की सलाह दी थी। रासायनिक हथियार के रूप में इस्तेमाल होने वाली दूसरी गैसों की तरह इसे महाविनाश का हथियार आधिकारिक रूप से नहीं माना गया है।
मस्टर्ड गैस कपड़ों को छेद कर त्वचा में समा जाती है। इसके संपर्क में आने के 24 घंटे बाद ही असर दिखना शुरू होता है। गैस के असर से पहले त्वचा लाल हो जाती है। फिर फफोले निकलते हैं। इसके बाद उस जगह की त्वचा छिलके की तरह उतर जाती है। नाक के रास्ते से अंदर गई गैस जानलेवा हो सकती है, क्योंकि यह फेफड़ों के उतकों को नुकसान पहुंचाती है।
लेकिन सीरिया में मिली जहरीली मस्टर्ड गैस के अवशेषों से जर्मनी नमक बनाने की तैयारी की जा रही है।  जर्मनी को जहरीली गैसों और रासायनिक हथियारों को खत्म करने का पुराना अनुभव है।
 

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