सामान्य ज्ञान
भारत की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 19 जनवरी, 1966 को पहली बार नेता चुनी गर्इं। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर मोरारजी देसाई के साथ उनका लंबा संघर्ष चला, लेकिन 19 जनवरी को उन्हें नेता चुन लिया गया।
लाल बहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद भारत में प्रधानमंत्री चुना जाना था और पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई का नाम सबसे आगे चल रहा था। इस मामले में इंदिरा गांधी ने चार दिन पहले तक अपना नाम भी नहीं रखा था, लेकिन आखिरी मौके पर कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगाई और तय हुआ कि इंदिरा गांधी भारत की अगली प्रधानमंत्री बनेंगी। हालांकि अपने कैबिनेट की घोषणा करने तक वह प्रधानमंत्री पद नहीं संभाल पाईं। इससे पहले 16 में से 11 भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इंदिरा गांधी के नाम पर हरी झंडी दे दी।
अंग्रेजी अखबार द गार्डियन के रिपोर्टर ताया जिनकिन ने अगले दिन यानी 20 जनवरी, 1966 को अपनी रिपोर्ट में लिखा, 48 करोड़ लोगों की प्रधानमंत्री के नाते 48 साल की इंदिरा गांधी दुनिया की सबसे ताकतवर महिला बन गई हैं। हालांकि सीलोन (आज के श्रीलंका) की श्रीमती भंडारनायके ने दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने में उनसे बाजी मार रखी है। इस रिपोर्ट में लिखा गया, उन्हें भारी बहुमत से कांग्रेस पार्टी का नेता चुना गया और उन्होंने मोरारजी देसाई को पराजित कर दिया। पूर्व वित्त मंत्री देसाई को कभी नेहरू का तार्किक उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन 20 महीने पहले उन्हें श्री शास्त्री से भी शिकस्त खानी पड़ी थी।
उस वक्त रेस में गुलजारीलाल नंदा का भी नाम आगे चल रहा था। लेकिन जब उन्हें पता चला कि इंदिरा गांधी भी इस रेस में हैं, तो नंदा ने अपना नाम वापस ले लिया। औपचारिक तौर पर इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री का पद संभाला।