सामान्य ज्ञान

कतुबुद्दीन ऐबक
29-Sep-2020 1:06 PM
कतुबुद्दीन ऐबक

तुर्किस्तान का मूल निवासी कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम के रूप में खरीदकर शहीबुदीदन मुहम्मद गोरी के पास लाया गया था। अपनी योग्यता के बल पर वह शीघ्र की मुहम्मद गोरी का विश्वासपात्र बन गया। 1192 ई. में मुहम्मद गोरी ने भारत में विजय अभियान  जारी रखने का कार्य कुतुबुद्दीन को सौंपकर खुरासान वापस चला गया।  उसके जाने के बाद कुतुबुद्दीन ने बड़ी वीरता के साथ यह काम किया।  1193 ई. में उसने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। उसके बाद ऐबक ने दस वर्षों तक कन्नौज, ग्वालियर, अजमेर, कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अपने एक सहायक के द्वारा बिहार और बंगाल को भी गोरी के राज्य में मिला लिया। 
गोरी का वंशज न होते हुए भी वह इतना प्रभावशाली हो गया था कि गोरी की मृत्यु के बाद वह दिल्ली के पहले मुसलमान सुल्तान के रूप में गद्दी पर बैठा। उसने 1206 से 1210 ई. में अपनी मृत्यु तक राज किया। अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए उसने राज्य के प्रमुख परिवारों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए। प्रसिद्ध कुतुबुमीनार का निमाण उसी ने करवाया था  । 

पोलाडीन  समझौता 
27 सितम्बर सन 1940 ईसवी को द्वितीय विश्व युद्ध के संयुक्त देशों के बीच पोलाडीन नामक समझौता हुआ। इटली, जर्मनी और जापान के बीच इस समझौते के आधार पर तीन राजधानियां रोम, बरलिन और टोकियो तीन केंद्रों के रुप में एक दूसरे के संपर्क में हो गईं। 
इस प्रकार से यह तीनों सरकारें द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य धुव्र के नाम से प्रसिद्ध हुई। जापान का अमरीका पर आक्रमण और अमरीका का द्वितीय विश्व युद्ध में कूद पडऩा इसी समझौते के परिणाम हैं।
 

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