मजरूह सुल्तानपुरी भारत के जाने-माने उर्दू शायर हैं। 1950 और 1960 के दशकों में मजरूह का हिन्दी फिल्मों के संगीत पर गहरा प्रभाव रहा। 1 अक्टूबर, 1919 में मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म आजमगढ़ के निजामाबाद में हुआ। उनके पिता पुलिस में काम करते थे। वह नहीं चाहते थे कि उनके बेटे को अंग्रेजी में तालीम दी जाए इसलिए उन्हें मदरसा भेजा गया जहां उन्होंने अरबी और फारसी सीखी।
उसके बाद मजरूह लखनऊ के तकमील उत तिब यूनानी कॉलेज में दाखिला लिया और हकीम के तौर पर पैसे कमाने की कोशिश करने लगे। इसी दौरान सुल्तानपुर में उन्होंने एक मुशायरे में अपनी गजल पेश की। उनकी यह गजल इतनी मशहूर हुई की उन्होंने अपनी हकीम की दुकान बंद कर केवल गजल लिखने का फैसला किया।
यादों की बारात, तीसरी मंजिल, हम किसी से कम नहीं, कयामत से कयामत तक और जो जीता वही सिकंदर जैसे फिल्मों में गीतों के बोल मजरूह ने ही दिए। मजरूह को वैसे तो हिन्दी फिल्मों में गीत लिखने के लिए जाना जाता हैं, लेकिन उनकी कविताएं भी बहुत मशहूर हुईं। मजरूह का निधन वर्ष 2000 में मुंबई में हुआ।