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गुवाहाटी, 6 अप्रैल | भारत की आजादी के बाद से हर चुनाव में मतदान करने वाले 92 वर्षीय बुजुर्ग मतदाता ने मंगलवार को पश्चिमी असम के गोलपाड़ा जिले के एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि 90 से अधिक साल के सिरमजीत राभा को दुधनाई विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कोठाकुथी प्राइमरी स्कूल में अपना वोट डालने के बाद एक पारंपरिक 'गमोचा' से सम्मानित किया गया।
पारंपरिक 'गमोचा' लाल बॉर्डर के साथ सफेद कपड़े का एक टुकड़ा है, जिसमें एक प्रथागत पैटर्न है और जो असमिया संस्कृति के पर्याय के रूप में जाना जाता है।
अपने परिवार के सदस्यों के साथ मतदान केंद्र पर आए राभा ने मीडिया को बताया कि वह आजादी के बाद से हर चुनाव में मतदान करते रहे हैं।
एक अन्य स्थान पर एक नवजात शिशु को अपनी गोद में लिए एक महिला वोट डालती नजर आई। इसके अलावा शारीरिक रूप से अक्षम और दिव्यांग लोगों के बीच भी मतदान को लेकर गजब का उत्साह देखने को मिला।
शारीरिक रूप से अक्षम बुजुर्ग मतदाताओं की तरह ही लोकतंत्र के त्योहार में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए महिलाओं और पहली बार वोट डालने आए मतदाताओं को भी सम्मानित किया गया।
असम के 2,33,74,087 मतदाताओं में से, 2,89,474 मतदाता 80 वर्ष या इससे अधिक आयु के हैं, जबकि 1,38,290 लोग दिव्यांग हैं।
निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के मतदाताओं को ई-रिक्शा की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी, विशेषकर उन लोगों को जिन्हें चलने में कठिनाई होती है।
चुनाव अधिकारियों ने कहा कि भीड़ से बचने के लिए, प्रत्येक बूथ के मतदाताओं की संख्या को अधिकतम 1,000 तक सीमित कर दिया गया था।
चुनाव आयोग ने पहली बार कोविड-19 संक्रमित लोगों और 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की, जो मतदान शुरू होने से दो सप्ताह पहले आयोजित किए गए थे। चुनाव आयोग ने पहले कहा था कि कुछ श्रेणियों के सभी मतदाताओं को चुनाव की अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर आवेदन करना होगा, यदि वे मतदान के लिए पोस्टल बैलेट के विकल्प का उपयोग करना चाहते हैं।
चुनाव अधिकारियों ने कहा कि एक मतदान दल में एक वीडियोग्राफर और सुरक्षा कर्मचारियों के साथ दो अधिकारी शामिल थे, जो पूरी गोपनीयता के साथ डाक मतपत्र का उपयोग करके मतदाता को उनका वोट डलवाने के लिए मतदाता डिब्बे के साथ उनके घर गए थे। (आईएएनएस)