राष्ट्रीय

मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के इस्तीफे के साथ ही पुदुचेरी में कांग्रेस-डीएमके की सरकार गिर गई है. विधान सभा चुनाव मुश्किल से दो महीने दूर हैं, इसलिए देखना होगा कि महीनों से चल रही खींच तान पर पर्दा अब भी गिरा है या नहीं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिके का लिखा-
33 सीटों वाली पुदुचेरी विधान सभा में बहुमत के लिए 17 सीटें चाहिए होती हैं. कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में सदस्यों की संख्या गिर कर 26 पर आ गई थी, इसलिए बहुमत का आंकड़ा भी 14 पर आ गया था. रविवार को कांग्रेस और उसके घटक दल डीएमके के एक एक विधायक के इस्तीफे के बाद सदन में सरकार के पास सिर्फ 12 सीटें रह गईं और वह अल्पमत में आ गई.
इसके बाद राज्य का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहीं तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री नारायणसामी को सदन में विश्वास मत का सामना करने को कहा. सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले तक मुख्यमंत्री दावा कर रहे थे कि उनके पास बहुमत है लेकिन विश्वास मत के शुरू होने से पहले ही वे अपने मंत्रियों के साथ मिल कर सदन की कार्यवाही छोड़ कर चले गए. इसके बाद अध्यक्ष ने घोषणा कर दी कि सरकार ने बहुमत खो दिया है.
सदन की कार्यवाही के बाद नारायणसामी ने राज्यपाल से मिल कर इस्तीफा तो सौंप दिया लेकिन उन्होंने साथ ही आरोप लगाया कि अध्यक्ष का फैसला गलत था और प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार, विपक्षी दल एनआर कांग्रेस और एआईएडीएमके ने मिल कर उनकी सरकार गिरा दी है. दरअसल नारायणसामी पहले से दावा कर रहे थे कि विधान सभा में तीन सदस्य हैं जिन्हें बीजेपी ने मनोनीत किया है और मनोनीत सदस्य होने के नाते इन्हें विश्वास मत के दौरान मतदान करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
राज्यपाल से टकराव
पुदुचेरी सरकार के कार्यकाल की शुरुआत के तुरंत बाद से ही मुख्यमंत्री नारायणसामी और तत्कालीन राज्यपाल किरण बेदी के बीच तनातनी शुरू हो गई और लगातार चलती ही रही. मुख्यमंत्री का आरोप था कि बेदी सरकार के रोज के कार्यों में हस्तक्षेप करती थीं, सरकारी नियुक्तियों पर रोक लगा देती थीं, सरकार को फैसले लेने से रोकती थीं और कई बार फैसलों को उलट भी देती थीं. उन दोनों के बीच यह खींचतान लगातार चलती ही रही.
फरवरी 2019 में तो नारायणसामी ही बेदी के खिलाफ छह दिनों तक धरने पर बैठे रहे थे. जनवरी 2020 में मुख्यमंत्री एक बार फिर बेदी को हटाए जाने की मांग कर तीन दिनों के धरने पर बैठे थे. 16 फरवरी को राष्ट्रपति ने बेदी को राज्यपाल के पद से हटा दिया और तेलंगाना की राज्यपाल को प्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया. (dw.com)