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NITIN NAGARKAR
"हम लोग बीते छह साल से लिव-इन रिलेशनशिप में हैं. लोग क्या कहेंगे, ये सोचकर अकेली रहती? किसी भी इमर्जेंसी में मेरे पास कौन होता? ऐसी स्थिति में समाज मदद के लिए आगे नहीं आता."
बीबीसी मराठी से अपने अनुभवों को शेयर करते हुए 69 साल की आसावरी कुलकर्णी ने ये कहा.
पुणे के वसंत बाग इलाक़े में रहने वाले 69 साल के अनिल यार्दी और 69 साल की आसावरी कुलकर्णी पिछले छह सालों से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं.
जब हम उनके घर पहुंचे तो दोनों इंटरव्यू के लिए पूरी तरह से तैयार थे. अनिल यार्दी आसमानी नीले रंग की टी-शर्ट में थे और आसावरी कुलकर्णी ग़ुलाबी रंग की ड्रेस में थीं. आसावरी ने अनिल को गहरे रंग की टी-शर्ट पहनने का अनुरोध किया था क्योंकि उनका कहना था कि कैमरे पर गहरा रंग अच्छा दिखेगा. इसके बाद अनिल ने गहरे नीले रंग की टीशर्ट पहनी.
अनिल और आसावरी की बात सुनने को लेकर हम उत्सुक थे. दोनों अपनी उम्र के 70वें साल तक पहुंचने वाले हैं और दोनों ने कुछ साल पहले शादी के बिना लिव-इन में रहने का फ़ैसला किया था.
अनिल ने कहा, "लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब एक साथ दोस्तों की तरह रहना है. शादी के लिए प्रस्ताव ज़रूरी है लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप के लिए किसी प्रस्ताव की ज़रूरत नहीं है. सवाल यह है क्या आप जीवन भर में लिव-इन में रह सकते हैं?"
बातचीत के सिलसिले को बढ़ाते हुए आसावरी ने कहा, "एक बार जब हम साथ रहने को सहमत हो गए तो फिर हमने लोग क्या कहेंगे ये नहीं सोचा."
दोनों का ही कहना है कि अपने विचारों को सार्वजनिक तौर पर रखने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती.
हमने उनसे जानना चाहा कि उनकी पहली मुलाक़ात कैसे हुई और दोनों ने एक साथ रहने का फ़ैसला कैसे लिया? इन सवालों के साथ उनकी ज़िंदगी की कहानी के पन्ने खुलने लगते हैं.
NITIN NAGARKAR/BBC
सात साल पहले शुरु हुई कहानी
क़रीब सात साल पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करने वाली माधव दामले की संस्था की ओर से एक ट्रिप का आयोजन किया गया था. इसी ट्रिप के दौरान आसावरी और अनिल की पहली मुलाक़ात हुई थी.
अनिल यार्दी बताते हैं, "मैं अपनी कार से आया था. मेरी कार में तीन महिलाएं और एक पुरुष थे. ये हमारे साथ नहीं थीं. ये थोड़ी देरी से पहुंची थीं. लेकिन ये इस अंदाज़ में पहुंची थीं कि मैं इनकी तरफ़ आकर्षित हुआ. फिर हमारी दोस्ती हुई और हमने बातचीत शुरू की."
इसके बाद हर दो-चार दिन बाद दोनों की मुलाक़ातें होने लगीं. अनिल पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे और नौकरी कर रहे थे. दफ़्तर से लौटते वक्त वे चाय पीने के लिए आसावरी के घर पर जाने लगे. कुछ दिनों के बाद आसावरी ने चाय के साथ उन्हें स्नैक्स भी ऑफ़र करना शुरू किया. दोनों को एक दूसरे से बातचीत करना पसंद आने लगा था और उनकी सोच भी आपस में काफी मिलती-जुलती थी.
आसावरी बताती हैं, "यह सिलसिला 10 महीने तक चला. उसके बाद हमें एहसास हुआ कि हमारी पसंद-नापंसद एक जैसी ही है. हमें चटपटा मांसहारी खाना पसंद था. दोनों कभी कभार ड्रिंक्स भी ले लेते थे. दोनों को यात्रा करना भी पसंद था, हम कभी-कभार एक दिन की यात्रा पर निकल पड़ते थे. तब हम लोगों ने सोचा कि हम साथ रह सकते हैं."
ANIL YARDI
आसान नहीं रहा फ़ैसला लेना
अनिल यार्दी ने बताया, "मेरी पत्नी का निधन 2013 में हो गया था. उससे पहले मेरे माता-पिता का निधन हो चुका था. इसके बाद मेरे भाई की मौत हो गई. फिर मेरा बेटा चल बसा. मेरी एक बेटी है. लेकिन मैं अकेला रहता था. मुझे एक पार्टनर की ज़रूरत महसूस हो रही थी. इसलिए मैंने यह फ़ैसला लिया."
आसावरी भारतीय जीवन बीमा निगम में नौकरी किया करती थीं. साल 2012 में वो रिटायर हुईं थी. उनके पति की मौत 1997 में ही हो चुकी थी.
आसावरी बताती हैं, "पति की मौत के बाद मेरी भाभी और उनका बेटा, मेरे घर के पास ही रहते थे. उस वक्त मुझे कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ. लेकिन जब बेटे के साथ-साथ भाभी ने अपना घर शिफ्ट कर लिया तो मुझे अकेलापन महसूस होने लगा. इसी दौरान पुणे के कॉलेज में बुजुर्गों के लिए लिव-इन रिलेशनशिप पर एक सेमिनार का आयोजन हुआ था. मैं उस सेमिनार में गई थी और मुझे लगा कि बाक़ी जीवन खुशी से बिताने के लिए यह एक सही रास्ता है."
"इस लेक्चर में सभी तरह की बातें बताई गई थीं. जैसे, इस उम्र में कैसे एक दूसरे के साथ रह सकते हैं. जब हम लोगों ने साथ रहने का फ़ैसला लिया तब हमारी उम्र 62 साल थी. सेमिनार में हमें बताया गया कि लिव-इन में रहने के लिए यह सबसे उपयुक्त उम्र है क्योंकि 70 साल के बाद स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं और घूमना-फिरना मुश्किल हो जाता है."
ANIL YARDI
'समाज का डर नहीं लगा'
बिना शादी के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को आज के समाज में अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता. आसावरी ने बताया, "एक तरफ़ मेरे दिमाग़ में चल रहा था कि लोग क्या कहेंगे. दूसरी तरफ़ मैं यह भी सोच रही थी कि लोगों के बारे में सोच कर क्या मैं अकेली रहूं? तनाव के चलते मैं रात-रात भर सो नहीं पाती थी. मैं किससे बात करती? ज़रूरत पड़ने पर मेरी मदद को कौन आएगा? हम समाज की बात तो करते हैं लेकिन समाज हर चीज़ की देखभाल नहीं कर सकता."
लेकिन अनिल और आसावरी ने शादी क्यों नहीं की, लिव-इन में ही रहने का फ़ैसला क्यों?
इसके जवाब में आसावरी कहती हैं, "हम लोग इस उम्र में जोख़िम नहीं लेना चाहते इसलिए साथ रह रहे हैं. ज़रूरत पड़ने पर शादी भी कर सकते हैं. हम बाक़ी का जीवन खुशी से बिताना चाहते हैं. और यह हमारा स्पष्ट इरादा है, इसलिए हमें समाज का डर नहीं है. अगर सब कुछ ठीक रहा है, तो शादी करने में भी कोई समस्या नहीं होगी. कई बार शादी के बाद लोग एक दूसरे की कद्र नहीं करते हैं. इसलिए भी हम अपने रिश्ते को शादी के बंधन में बांधना ज़रूरी नहीं समझते."
अनिल यार्दी ने बताया, "हमने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया. वे हमारे घर आते हैं और हम भी साथ मिलकर उनके घर जाते हैं. समाज की ओर से हमें अब तक कोई बुरा अनुभव नहीं हुआ है."
बीते सात साल से अनिल और आसावरी साथ रह रहे हैं. दोनों के पहले से संतानें भी हैं. दोनों के अपने अनुभव भी हैं और यादें भी. ऐसे में दोनों इस नए रिश्ते को कैसे मज़बूत कर रहे हैं?
इस बारे में आसावरी ने कहा, "हम दोनों का एक दूसरे पर भरोसा है. इतने सालों में हममें से किसी ने भरोसा तोड़ने वाली बात नहीं की." वहीं अनिल यार्दी ने मेरे कानों में कहा, "हम एक दूसरे को पागलपन की हद तक प्यार करते हैं."
NITIN NAGARKAR
परिवार का विरोध
पूरे इंटरव्यू के दौरान आसावरी और अनिल मुस्कुराते रहे. हम प्यार, भरोसा, खुशी, समाज और तमाम मुद्दों पर बात करते रहे. इस बातचीत के आख़िरी हिस्से में हमने दोनों से रिलेशनशिप को लेकर किसी तरह के विरोध के बारे में पूछा.
दोनों ने बताया कि उन्हें इस मामले में अपने परिवार से विरोध का सामना करना पड़ा था.
अनिल यार्दी ने बताया, "शुरुआत में मेरी बेटी इस रिलेशनशिप के ख़िलाफ़ थी. हम उसके घर गए ताकि आसावरी से उसका परिचय हो. लेकिन वह इन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुई थी. लेकिन बाद में हमने उन्हें मना लिया. हमने उन्हें बताया कि ये हमारी दूसरी शादी नहीं है. हम केवल साथ रह रहे हैं."
आसावरी ने बताया, "बीते सात साल से हमें साथ देखकर हमारे बच्चे भी अब खुश हैं. वे हमारे रिलेशनशिप पर विश्वास करते हैं. बच्चों के जन्मदिन पर पूरा परिवार जमा होता है. हम अपने रिश्तेदारों के यहां भी एक साथ जाते हैं. लोग हमें सम्मान देते हैं. अब तक तो सब कुछ अच्छा चल रहा है."
NITIN NAGARKAR/BBC
वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं पर कई संस्थाएं काम करती हैं. लेकिन आसावरी कहती हैं, "लिव-इन रिलेशनशिप इन सबमें सबसे बेहतर तरीका है."
हालांकि दोनों का मानना है कि लिव-इन रिलेशनशिप में जाने का फ़ैसला काफी सोच विचार करके और गंभीरता से करना चाहिए.
जब दो लोग साथ रहते हैं तो घर का खर्च चलाना भी बेहद अहम मुद्दा होता है. आसावरी ने बताया, "इसे लेकर हम स्पष्ट थे. महीने के ख़र्च को हम बराबर हिस्सों में बांट लेते हैं. कपड़े और गहने अपने पैसों से ख़रीदते हैं. इसलिए पैसों को लेकर हमारा झगड़ा नहीं होता. रिलेशनशिप में जाने से पहले पैसों के मामले में स्पष्टता रखना ज़रूरी है. साथ ही बच्चों की सहमति भी ज़रूरी है."
अनिल यार्दी ने बताया, "कोई भी शख़्स लिव-इन रिलेशनशिप को हल्के में नहीं ले सकता. हमें इस रिश्ते को लगातार मज़बूत बनाए रखने की ज़रूरत है. हम साथ आने के कुछ समय बाद अगर अलग होते हैं तो समाज सवाल पूछेगा. लेकिन अगर अपने जीवन के अंत तक साथ रहें, तो कोई हम पर उंगली नहीं उठा पाएगा."
आसावरी और अनिल दोनों ये मानते हैं कि किसी भी रिलेशनशिप के लिए प्यार सबसे ज़रूरी है, लेकिन इसके अलावा थोड़ा त्याग और थोड़ा समझौता की ज़रूरी है. (bbc.com)